नई दिल्ली (7 जनवरी 2025): दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान 05 फरवरी को संपन्न हो गया, लेकिन मतगणना और नतीजे घोषित होने के दो अहम चरण अभी बाकी हैं। इस चुनाव में आदर्श आचार संहिता (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट) लागू थी, जिसका पालन कितना प्रभावी रूप से हुआ? इसी सवाल पर टेन न्यूज़ नेटवर्क ने एक विशेष कार्यक्रम “राजधानी की राजनीति: दिल्ली विधानसभा चुनाव में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का कितना पालन हुआ?” आयोजित किया। इस चर्चा में राजनीतिक प्रत्याशी, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और प्रबुद्ध मतदाता शामिल हुए। कार्यक्रम का सफल संचालन टेन न्यूज नेटवर्क के सीनियर कॉरेस्पॉन्डेंट रंजन अभिषेक ने किया।
“चुनाव आयोग सिर्फ कमजोरों पर सख्ती करता है” – डॉ. दीपक चावला
डॉ. दीपक चावला, जो रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) से तिमारपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार थे, ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “सभी चुनावी परमिशन ऑनलाइन दिए गए, लेकिन हमें हर छोटी परमिशन के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। गाड़ियों और प्रचार सामग्री पर सख्ती से सीमाएं तय थीं, लेकिन जमीनी हकीकत में इसका पालन कहीं नहीं हुआ।”
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव प्रचार के दौरान सिविल जोन में झंडे लगाए गए और पटाखे फोड़े थी गए, लेकिन शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। “चुनाव अधिकारी उन्हीं ताकतवर लोगों से जाकर मिलते थे और शिकायत करने वालों पर ही FIR हो जाती थी।”, उन्होंने कटाक्ष किया। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर शायराना अंदाज में तंज कसते हुए कहा, “हर शाम सोचता हूं कि तुझे भूल जाऊं, लेकिन हर सुबह यही बात भूल जाता हूं।”
“आदर्श चुनाव के लिए जरूरी है इच्छाशक्ति” – अकील अख्तर
सोशल एक्टिविस्ट अकील अख्तर, जो 2016 से पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्षरत हैं, ने कहा कि दिल्ली में खुलेआम आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ। उन्होंने दावा किया कि सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से चुनाव आयोग को इसकी जानकारी मिलती रही, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई

“एक चुनाव अधिकारी से बात करने पर उन्होंने माना कि अगर हम किसी खास पार्टी पर कार्रवाई करते हैं, तो हमें दिल्ली तो छोड़िए, शायद दिल्ली से बाहर ट्रांसफर कर दिया जाए।” अख्तर ने आगे कहा कि पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए जनता को वित्तीय सहायता देने के वादे किए, जो स्पष्ट रूप से आचार संहिता का उल्लंघन था। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि “शायद इस समय हमें टी.एन. शेषन जैसे सख्त चुनाव अधिकारी की जरूरत है।”
“30-40% ही हुआ आचार संहिता का पालन” – गजानन माली
टेन न्यूज़ नेटवर्क के संस्थापक गजानन माली ने चुनाव आयोग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “दिल्ली विधानसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता का सिर्फ 30 से 40% ही पालन किया गया। अधिकारियों का दावा है कि FIR दर्ज की गई, लेकिन सवाल यह उठता है कि इन FIR पर कितनी कार्रवाई हुई?”
उन्होंने दावा किया कि गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से लेकर विधानसभा प्रत्याशी तक, सभी ने चुनाव नियमों का उल्लंघन किया। “दिल्ली में हवा इतनी खराब है, फिर भी लाउडस्पीकर, भारी भीड़ और गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार किया गया। उन्होंने चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए सुझाव देते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के तीन रिटायर्ड जजों का एक पैनल बनाना चाहिए, जो आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों की जांच करे और अधिकारियों को कार्रवाई का आदेश दे।”

“बड़ी पार्टियों के लिए कोई नियम नहीं?” – शाहीन खान
जानी-मानी पत्रकार शाहीन खान ने चुनाव प्रचार में नियमों के खुलेआम उल्लंघन की पोल खोली। उन्होंने कहा, “चांदनी चौक जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर प्रियंका गांधी की जनसभा कराई गई, जिससे आम जनता को भारी परेशानी हुई।” उन्होंने कहा कि जब चुनाव जनता के लिए हो रहे हैं, तो जनता की ही असुविधाओं को नजरअंदाज करना गलत है। उन्होंने चुनाव आयोग को सुझाव देते हुए कहा कि “जनता को भी आचार संहिता की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे भी जागरूक होकर गलत चीजों की शिकायत कर सकें। चुनाव आयोग को बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।”
“मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट सिर्फ छोटी मछलियों के लिए?” – डॉ. इरशाद अहमद
कालकाजी विधानसभा के निवासी और जागरूक मतदाता डॉ. इरशाद अहमद ने कहा कि मतदान के दिन भी उनकी विधानसभा में एक खास पार्टी के चुनाव चिह्न के साथ नारेबाजी हुई, जिससे चुनाव प्रभावित हुआ होगा। उन्होंने कटाक्ष किया कि “आचार संहिता सिर्फ छोटी मछलियों के लिए बनी है, बड़ी मछलियां इससे बचकर निकल जाती हैं।”
उन्होंने सुधार का सुझाव देते हुए कहा कि “एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जाए जो 24×7 एक्टिव रहे और उल्लंघन होने पर तुरंत कार्रवाई करे। चुनाव आयोग को अपने नियमों को सख्ती से लागू करना होगा।”
क्या चुनाव आयोग बदलाव लाएगा?
इस मंथन में यह स्पष्ट हुआ कि चुनाव आयोग द्वारा लागू किए गए नियमों का पालन आधे-अधूरे मन से किया गया। बड़े नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ताओं तक, सभी ने किसी न किसी रूप में नियमों का उल्लंघन किया। टेन न्यूज नेटवर्क द्वारा आयोजित विशेष चर्चा में शामिल लोगों ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून और उनकी सही अनुपालना की मांग की। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और भविष्य में आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन करवाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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