116 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं पर 34 हजार करोड़ से अधिक बकाया | Noida Authority

टेन न्यूज नेटवर्क

NOIDA News (05/12/2025): नोएडा प्राधिकरण ने शहर की आवासीय परियोजनाओं से जुड़ा एक चौंकाने वाला ब्योरा जारी किया है। प्राधिकरण के अनुसार, 116 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं पर 30 नवंबर 2024 तक कुल 34,283 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया दर्ज है। इसमें से लगभग 25 हजार करोड़ रुपये ऐसे मामलों से जुड़े हैं जो वर्षों से कोर्ट, एनसीएलटी और ठप पड़ी योजनाओं में उलझे हुए हैं। नोएडा प्राधिकरण अब इन सभी परियोजनाओं की स्थिति और बकाये का पूरा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध कराने जा रहा है, ताकि घर खरीदारों को पारदर्शी जानकारी मिल सके।

सबसे बड़ा बकाया उन परियोजनाओं से जुड़ा है जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हैं। प्राधिकरण इन प्रोजेक्ट्स पर किसी तरह की रिकवरी कार्रवाई नहीं कर सकता। इस श्रेणी में अम्रपाली और यूनिटेक सबसे बड़े डिफॉल्टर के रूप में सामने आए हैं।

अम्रपाली की वे परियोजनाएं, जिन्हें 2009–2011 के बीच भूमि आवंटित हुई थी, आज भी भारी बकाये में डूबी हैं। इनमें शामिल हैं:

सेक्टर 76 — सिलिकॉन सिटी

सेक्टर 120 — जोडियक

सेक्टर 45 — सफायर

सेक्टर 76 — प्रिंसली एस्टेट

सेक्टर 50 — एडन पार्क

2019 में फंड डाइवर्जन और निर्माण ठप होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी परियोजनाओं की निगरानी अपने हाथ में ले ली थी। इसके बाद से प्राधिकरण किसी भी तरह की वसूली नहीं कर पा रहा।

नोएडा का सबसे बड़ा डिफॉल्टर यूनिटेक समूह है। इसके पांच भूखंडों पर कुल 13,509 करोड़ रुपये का बकाया दर्ज है। सबसे बड़ी बकाया राशि सेक्टर 96, 97 और 98 की परियोजनाओं पर है, जिन्हें 2006 में आवंटित किया गया था। इसके अलावा सेक्टर 113, 117 और 144 की परियोजनाएं भी 2007–2011 के बीच आवंटन के बाद लगातार विवादों और देरी में फंसी हुई हैं।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाले मामलों से इतर 16 बिल्डर वर्तमान में दिवालिया प्रक्रिया (NCLT) में हैं। इन पर कुल 7,300 करोड़ रुपये का बकाया है।
इनमें प्रमुख हैं:

ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज (सेक्टर 110) — 1,260 करोड़

लॉजिक्स इन्फ्राटेक (सेक्टर 143) — 940 करोड़

लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स (सेक्टर 143) — 800 करोड़

श्री सी प्रोजेक्ट्स (सेक्टर 168) — 700 करोड़

इसके अलावा सुपरटेक समूह की कई इकाइयों पर भी 1,000 करोड़ से अधिक की बकाये की रकम है।

नोएडा प्राधिकरण ने 30 ऐसी परियोजनाओं की पहचान की है जो अधूरी पड़ी हैं और जिन पर 6,761 करोड़ रुपये का बकाया है। इतना ही नहीं, 13 पूरी हो चुकी परियोजनाओं ने कब्जा देने के बावजूद 703 करोड़ रुपये प्राधिकरण को नहीं चुकाए हैं। प्राधिकरण इन सभी बकाये और कानूनी स्थिति से जुड़े आंकड़ों को जल्द ही सार्वजनिक पोर्टल पर डालने की तैयारी में है। इससे खरीदारों को यह स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किस परियोजना की क्या स्थिति है, कितना बकाया है और योजना किस चरण में अटकी हुई है। यह कदम रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और खरीदारों को सुरक्षित निवेश के विकल्प चुनने में मदद करेगा।


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