नोएडा सेफ सिटी प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी, चौथे टेंडर से पहले शर्तों में बदलाव की तैयारी

टेन न्यूज़ नेटवर्क

NOIDA News (03/12/2025): नोएडा में लंबे समय से प्रस्तावित सेफ सिटी परियोजना कुछ समय और पीछे खिसक सकती है। इसका कारण यह है कि तीन बार टेंडर जारी होने के बावजूद किसी भी कंपनी ने बिड प्रक्रिया में अपेक्षित रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में प्राधिकरण अब चौथी बार टेंडर आमंत्रित करने से पहले आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल) में बदलाव की दिशा में विचार कर रहा है। इसके लिए ग्रेटर नोएडा में चल रही सेफ सिटी योजना का मॉडल भी अध्ययन किया जाएगा।

नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम के अनुसार सेफ सिटी प्रोजेक्ट संवेदनशील व सुरक्षा से जुड़ी योजना है, इसलिए इसमें उच्च गुणवत्ता के कैमरों और आधुनिक तकनीक का उपयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि, हम ऐसी ही कंपनी का चयन करना चाहते हैं जो सभी तकनीकी मानकों को पूरा करे। पहले तीन प्रयासों में अपेक्षित प्रतिस्पर्धा नहीं मिली, इसलिए शर्तों की समीक्षा की जा रही है।

इस परियोजना के तहत शहर के 561 महत्वपूर्ण स्थानों पर लगभग 2,100 अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इनमें नाइट विजन और फेस डिटेक्शन जैसी आधुनिक तकनीक शामिल होगी, जो मौजूदा ट्रैफिक सिस्टम (ISTMS) के कैमरों से अलग और अधिक उन्नत होंगे।

कैमरों की निगरानी के लिए अलग से आधुनिक कंट्रोल रूम तैयार किया जाएगा। इन कैमरों का ट्रैफिक चालान से कोई संबंध नहीं होगा। सुरक्षा की दृष्टि से वाहनों की नंबर प्लेट और वाहन में बैठे लोगों की स्पष्ट पहचान संभव होगी।

सेफ सिटी प्रोजेक्ट पर लगभग 212 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसका पूरा व्यय नोएडा प्राधिकरण वहन करेगा। चुनी जाने वाली कंपनी को निम्न कार्य करने होंगे: सीसीटीवी कैमरों की इंस्टॉलेशन, ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाना, पोल लगाना, मॉनिटरिंग से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना। प्राधिकरण का लक्ष्य है कि कंपनी को कार्यभार मिलने के बाद 6 से 9 महीने के भीतर परियोजना पूरी कर ली जाए।

पुलिस विभाग की ओर से जिन स्थानों पर कैमरे लगाए जाने का सुझाव दिया गया है, उनमें प्रमुख बाजार, सरकारी–निजी स्कूल, ब्लैक स्पॉट, भीड़ वाले इलाके, मॉल्स, बस स्टैंड और मेट्रो स्टेशन शामिल हैं।सेफ सिटी योजना के तहत गौतमबुद्ध नगर को दो क्षेत्रों—नोएडा और ग्रेटर नोएडा—में बांटा गया है। दोनों क्षेत्रों की बुनियादी संरचना संबंधित प्राधिकरण विकसित करेगा, जबकि नियंत्रण एवं संचालन की जिम्मेदारी पुलिस विभाग संभालेगा। प्राधिकरण का कहना है कि शर्तों में सुधार और ग्रेटर नोएडा की मॉडल स्टडी के बाद टेंडर फिर से जारी किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि संशोधित आरएफपी से बेहतर प्रतिक्रिया मिलेगी और शहर की सुरक्षा व्यवस्था जल्दी सुदृढ़ हो सकेगी।


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