Noida Authority के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल, सैकड़ों किसान करेंगे घेराव

टेन न्यूज नेटवर्क

NOIDA News (07/07/ 2025): भारतीय किसान परिषद के नेतृत्व में किसान सोमवार दोपहर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) कार्यालय का घेराव करेंगे। यह विरोध प्रदर्शन किसानों की विभिन्न मांगों और प्राधिकरण की कथित तानाशाही कार्यशैली के विरोध में किया जा रहा है। प्रदर्शन के दौरान किसान प्राधिकरण कार्यालय की परिक्रमा करेंगे और उसके बाद एक पंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।

भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने नोएडा प्राधिकरण पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) की आबादी की जमीन पर बने आवासों को अवैध निर्माण (Illegal Construction) घोषित कर तोड़फोड़ कर रहा है। हाल ही में एक किसान के मकान को भी इसी आधार पर ध्वस्त (Demolished) कर दिया गया। सुखवीर खलीफा ने दावा किया कि मकान गिराने की यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब किसान ने एक अधिकारी द्वारा मांगी गई रिश्वत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल भी किया था, जो व्यापक रूप से चर्चा में आया था।

सुखवीर खलीफा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्राधिकरण की तानाशाही अब और नहीं सहन की जाएगी। उन्होंने यह भी मांग की है कि रिश्वत मांगने वाले भ्रष्ट अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।

किसानों की प्रमुख मांग हैं:

आबादी की जमीन पर बने मकानों को वैध (Legal) दर्जा दिया जाए

10 प्रतिशत आबादी के प्लॉट का आबंटन किया जाए

64.7 प्रतिशत मुआवजा दर लागू की जाए

आबादी को जैसी स्थिति में है, वैसे ही छोड़ा जाए

हाईपावर कमेटी (Highpower Committee) की सिफारिशों को लागू करने की समयसीमा स्पष्ट की जाए

इन सभी मुद्दों पर किसान प्रतिनिधिमंडल प्राधिकरण से बातचीत करेगा और स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) की मांग करेगा।

प्रदर्शन में सैकड़ों किसानों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसे देखते हुए नोएडा प्राधिकरण परिसर के भीतर और बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहेगा। प्रशासन भी इस प्रदर्शन को लेकर सतर्क है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने की तैयारी में है।प्रदर्शन से पूर्व शनिवार को किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री से मिला था। इस मुलाकात में मंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया था कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए यह स्पष्ट है कि किसानों की नाराज़गी और मांगें ज़मीन से जुड़ी न्यायसंगत चिंता को उजागर करती हैं, जिनका समाधान संवाद और पारदर्शिता (Transparency) के ज़रिए ही संभव है। जहां किसान अपने अधिकारों और न्याय की उम्मीद में सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं, वहीं प्राधिकरण के लिए यह एक अवसर है कि वह जनविश्वास (Public Trust) बहाल करते हुए स्थिति का संवेदनशीलता से समाधान करे। दोनों पक्षों को बातचीत के ज़रिए एक संतुलित हल निकालें, ताकि न तो किसानों के हितों की अनदेखी हो और न ही प्रशासनिक प्रक्रिया बाधित हो।


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