नई दिल्ली (16 जून 2025): दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने राजधानी की 50 साल पुरानी रिहायशी कॉलोनियों को रीडेवलप(Redevelopment) करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना(V K Saxena ) द्वारा गठित टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर इस प्रक्रिया को तेज करने की योजना बनाई गई है। टास्क फोर्स ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिनमें Single Windo Clearance , Property Tax का रेशनलाइजेशन और डेवलपर्स को अतिरिक्त FAR देने जैसी योजनाएं शामिल हैं। इससे न केवल कॉलोनियों की स्थिति सुधरेगी, बल्कि रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस टास्क फोर्स में DDA, MCD, DSIIDC और इंडस्ट्री प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था। इन एजेंसियों ने सुझाव दिया है कि गुरुग्राम और नोएडा की तुलना में दिल्ली में सर्कल रेट अधिक होने के कारण निवेश रुक जाता है, जिससे प्रॉपर्टी मार्केट प्रभावित होता है। टास्क फोर्स की सिफारिशें मान ली जाती हैं तो दिल्ली की पुरानी कॉलोनियों जैसे सफदरजंग, साकेत, मदनगीर, कालकाजी, पीतमपुरा और राजौरी गार्डन जैसी बस्तियों को नया जीवन मिल सकता है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इन कॉलोनियों की स्ट्रक्चरल सेफ्टी अब चिंता का विषय बन चुकी है। इनमें अधिकांश भवन 1960 और 70 के दशक में बने थे और अब वे अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। डेवलपर्स को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक FAR, आसान अप्रूवल और कानूनी सहूलियत देने की बात कही गई है। साथ ही, एमसीडी क्षेत्र में लेआउट प्लान की बाध्यता खत्म करने और कमर्शियल प्लॉट के अमल्गमेशन चार्ज में कटौती जैसे उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।
स्लम रीडेवलपमेंट को भी इस योजना में महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि पीपीपी मॉडल के तहत डेवलपर्स को इंटिग्रेटेड कमर्शियल घटक जोड़ने की छूट दी जाए, जिससे प्रोजेक्ट आर्थिक रूप से मजबूत हो और निर्माण कार्य शीघ्रता से हो सके। इसके साथ ही ग्रीन बिल्डिंग पॉलिसी, रिवाइज्ड डेवलपमेंट कंट्रोल नॉर्म्स और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए फास्ट ट्रैक अप्रूवल की व्यवस्था का सुझाव दिया गया है।
पूर्व प्लानिंग कमिश्नर A K Jain ने इस पहल का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी कि पार्किंग व्यवस्था, डीडीए एक्ट में संशोधन, स्टांप ड्यूटी छूट और पर्यावरणीय क्लीयरेंस जैसे पहलुओं पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उनका मानना है कि जब तक इन पहलुओं पर व्यापक नीति नहीं बनाई जाती, तब तक रीडेवलपमेंट की प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल पाएगी।
इन योजनाओं के लागू होने पर न केवल दिल्ली की जर्जर होती कॉलोनियों को नया जीवन मिलेगा, बल्कि राजधानी के रियल एस्टेट क्षेत्र को भी बड़ी राहत और गति मिल सकती है। अब देखना होगा कि डीडीए और दिल्ली सरकार इन सिफारिशों को कैसे और कितनी जल्दी लागू करते हैं, ताकि दिल्ली का चेहरा वास्तव में बदला जा सके।
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