New Delhi News (13 December 2025): दिल्ली में निजी स्कूलों की लगातार बढ़ती फीस को लेकर अभिभावकों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के बीच अब उन्हें बड़ी राहत मिली है। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 को अधिसूचना जारी कर लागू कर दिया है। इस कानून के लागू होने के बाद राजधानी के 1,500 से अधिक निजी, गैर-सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त स्कूल इसके दायरे में आ गए हैं। सरकार का कहना है कि इसका मकसद फीस वृद्धि की प्रक्रिया को नियंत्रित करना और निजी स्कूलों की मनमानी पर प्रभावी रोक लगाना है।
नए कानून के तहत अब कोई भी निजी स्कूल बिना निर्धारित प्रक्रिया अपनाए और सक्षम प्राधिकरण की अनुमति के फीस नहीं बढ़ा सकेगा। स्कूलों को अपनी प्रस्तावित फीस संरचना पहले से घोषित करनी होगी और इसके समर्थन में आय-व्यय का पूरा ब्योरा देना अनिवार्य होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फीस में बढ़ोतरी केवल वास्तविक खर्च और शैक्षणिक जरूरतों के आधार पर ही हो, न कि मनमाने ढंग से।
अधिनियम में वित्तीय पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया गया है। स्कूलों को अपने वित्तीय रिकॉर्ड सार्वजनिक करने होंगे और आवश्यक होने पर अभिभावकों के साथ साझा करना होगा। सरकार का मानना है कि इससे स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के बीच विश्वास बढ़ेगा और फीस को लेकर होने वाले विवादों में कमी आएगी।
कानून के तहत विभिन्न शुल्कों की अधिकतम सीमा भी तय कर दी गई है। पंजीकरण शुल्क सीमित कर दिया गया है, वहीं प्रवेश शुल्क और कॅशन मनी की अधिकतम राशि निर्धारित की गई है। कॅशन मनी को ब्याज सहित लौटाने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। इसके अलावा विकास शुल्क को वार्षिक ट्यूशन फीस के एक निश्चित प्रतिशत से अधिक नहीं लिया जा सकेगा, जिससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
फीस से जुड़े विवादों के समाधान के लिए अधिनियम में स्पष्ट शिकायत निवारण व्यवस्था बनाई गई है। किसी भी अनुचित फीस वृद्धि या वसूली के खिलाफ अभिभावक तय प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज करा सकेंगे। यदि बड़ी संख्या में अभिभावक किसी स्कूल के खिलाफ शिकायत करते हैं, तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। सरकार का दावा है कि इससे वास्तविक मामलों में त्वरित न्याय संभव हो सकेगा।
दिल्ली सरकार का कहना है कि यह कानून शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम कदम है। अभिभावक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इससे निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगेगी। वहीं कुछ स्कूल प्रबंधन ने नए नियमों को लागू करने के लिए समय और स्पष्ट दिशा-निर्देशों की मांग की है। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि सभी पक्षों से संवाद जारी रखते हुए कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा।।
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