कथक की साधिका: गुरु एवं नृत्यांगना अनुराधा शर्मा की प्रेरणादायक नृत्य यात्रा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नोएडा (15 जून 2025): “जहाँ शब्द मौन हो जाते हैं, वहाँ से नृत्य बोलता है”, और जब उस नृत्य में आत्मा, साधना और संस्कृति का संगम हो, तो वह केवल प्रस्तुति नहीं रह जाती, वह एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाती है। ऐसी ही भावपूर्ण साधना की प्रतीक है, कथक नृत्यांगना व गुरु अनुराधा शर्मा (Anuradha Sharma) है। जिन्होंने ने कथक को केवल सीखा नहीं बल्कि उसे जिया, उसे साधा, और उसे समाज तक पहुँचाया।

नोएडा (Noida) के सेक्टर-93 स्थित पावन कला धाम में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित 10 दिवसीय कथक कार्यशाला (12 जून से 21 जून तक) में प्रशिक्षण देते हुए कथक नृत्यांगना (Kathak Dancer)एवं गुरु (Teacher) अनुराधा शर्मा ने टेन न्यूज़ से विशेष बातचीत की। जिसमें उन्होंने अपने कथक जीवन की कथा साझा की। जो केवल एक कलाकार की यात्रा नहीं, बल्कि एक नारी की जिजीविषा, दृढ़ता और भारतीय संस्कृति के प्रति निष्ठा की मिसाल है।

नृत्य की प्रेरणा की शुरुआत मुझे माँ से मिली

अनुराधा शर्मा ने बताया कि मैंने अपनी माँ को मंदिर में भजन पर नृत्य करते हुए देखा था। वहीं से मेरी प्रेरणा शुरू हुई। माँ ही मेरी पहली गुरु थीं। फिर मैंने चंडीगढ़ (Chandigarh) स्थित प्राचीन कला केंद्र से कथक की विधिवत शिक्षा ली। उन्होंने कहा कि जब वे चंडीगढ़ से उज्बेकिस्तान और फिर नोएडा आईं, तो उन्हें अपनी पहचान दोबारा स्थापित करनी पड़ी। नोएडा में जब आई, तब मुझे कोई नहीं जानता था। लेकिन अपने नृत्य के प्रति निष्ठा और साधना के बलबूते पर मैंने यहां अपनी पहचान बनाई।

संघर्ष से सफलता तक की कहानी

गुरु अनुराधा शर्मा ने कहा कि बिना चुनौती के कोई भी सफलता पूर्ण नहीं होती। अगर आपको ऊंचाइयों को छूना है तो आपके संघर्ष तो करना ही पड़ेगा। सबसे बड़ा चैलेंज यही था कि जब छोटी थी तो अलग माहौल था, बड़ी हुई तो अलग माहौल मिला और शादी के बाद एक अलग माहौल देखने को मिला और हमारे सभी की ख्वाहिश होती है कि हम स्वतंत्र रूप से कुछ करें। आईसीएआर ( ICAR) से जॉब मिली,मैंने आईसीसीआर में बहुत काम किया और मेहनत की। कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

संस्कृति की वाहिका, सीमाओं के पार

अनुराधा शर्मा ने अपनी कुछ कथक नृत्य की यादगार प्रस्तुति पर बातचीत करते हुए कहा मैं आईसीएआर से 3 साल चीन भी गई। चीन (China,) में भारतीय संस्कृति और कथक का प्रचार-प्रसार किया, जहाँ उन्हें वहां के रगजदूत एस. जयशंकर से विशेष सहयोग मिला।दो-चार मिनट से ज्यादा परफॉर्म मिस की अनुमति नहीं थी लेकिन मुझे वहां 10 मिनट परफॉर्म करने का मौका। “जब मेरी बेटी सिर्फ चार महीने की थी, तब मैंने सिजेरियन ऑपरेशन के छह महीने बाद मंच पर प्रस्तुति दी। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी चुनौती और उपलब्धि दोनों थी। चीन में उनके कथक प्रदर्शन को वहाँ के दर्शकों ने अत्यंत सराहा, भले ही भाषा अलग थी।

लोक संस्कृति से वैश्विक पहचान तक

अनुराधा शर्मा ने कहा कि हमने कई बड़े-बड़े उत्सवों में अपनी कथक नृत्य की प्रस्तुतियां दी है। राम मंदिर निर्माण उत्सव, सांस्कृतिक मंत्रालय के आयोजन, और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनके कथक ने सिर्फ दर्शकों को नहीं, बल्कि आयोजकों को भी भावविभोर कर दिया। उनके शिष्य भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी भारतीय नृत्य के संवाहक बन रहे हैं।

आज की पीढ़ी और कथक की स्थिति

अनुराधा शर्मा का मानना है कि आज का समय सोशल मीडिया का है। पहले जहाँ मंचों तक ही कला सीमित थी, अब वही कला डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दुनिया भर में देखी और सराही जाती है। “आज के माता-पिता अपने बच्चों को कला में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, यह एक बहुत शुभ संकेत है।

एक परिवार, एक परंपरा

अनुराधा शर्मा ने बताया कि चंडीगढ़ के एक बिजनेसमैन के परिवार से आई थी। जहां पूर्ण रूप से कथक नृत्य में अपना भविष्य देखना इतना आसान नहीं था। लेकिन कड़े संघर्षों के बाद मैं परिवार की पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने कला को करियर बनाया, और अब मैं चाहती हैं कि मेरी बेटियां इस विरासत को आगे बढ़ाए।‌ आगे उन्होंने कहा मेरा सपना है कथक हर घर तक पहुँचे। हर बेटी, हर बेटा इसे अपनी आत्मा से महसूस करे। यही मेरी साधना की सबसे बड़ी सफलता होगी।‌

उत्तर प्रदेश सरकार और नृत्य का पुनरुत्थान

गुरु अनुराधा शर्मा ने उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) और संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Academy) द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोक संस्कृति के संरक्षण और प्रसार में सक्रिय भूमिका निभा रही है, जिससे कलाकारों को मंच और सम्मान दोनों मिल रहा है। नोएडा के सेक्टर 93 स्थित पावन कला धाम में इन दिनों उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (Uttar Pradesh Sangeet Natak Academy) द्वारा आयोजित 10 दिवसीय कथक कार्यशाला की गूंज सुनाई दे रही है, जिसका संचालन अनुराधा शर्मा स्वयं कर रही हैं। इस कार्यशाला में छोटे बच्चों से लेकर वरिष्ठ महिलाएँ भी बड़े उत्साह से भाग ले रही हैं। इसका समापन 22 जून को नोएडा सेक्टर 6 के इंदिरा गांधी कला केंद्र सभागार में होने वाली एक भव्य प्रस्तुति के साथ होगा।

भविष्य की ओर कथक का विस्तार और विरासत

अनुराधा शर्मा ने कहा कि कथक को स्कूलों के पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया चाहिए। यह केवल कला नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का एक माध्यम है।कथक को स्कूल शिक्षा में एक विषय के रूप में शामिल किया जाए तो यह भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने में एक क्रांतिकारी कदम होगा।

भावी कलाकारों को संदेश

अनुराधा शर्मा ने भावी कलाकारों को संदेश देते हुए कहा कि नृत्य एक माध्यम है, भले ही आप किसी भी फील्ड में हों, कथक आपके जीवन में संतुलन और अनुशासन लाता है। अगर आप पूर्ण रूप से इसमें भविष्य बनाना चाहते हैं तो आज इसके लिए मंच और मार्ग दोनों खुले हैं।युवाओं अपनी पढ़ाई या जॉब के साथ भी कथक को अपनाएं, और चाहें तो पूर्णकालिक करियर भी बनाएं। जैसे गुरु सौभना नारायण ने जॉब के साथ-साथ अपने नृत्य को संजोकर रखा है।

कथक नृत्यांगना एवं गुरु अनुराधा शर्मा की कथा केवल एक कलाकार की यात्रा नहीं, बल्कि यह बताती है कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य आज भी जीवित है, जागृत है और आत्मा से जुड़ा हुआ है। जब घुंघरू थिरकते हैं, तो केवल पांव नहीं पूरी संस्कृति गूंज उठती है।।

कथक गुरु एवं नृत्यांगना Anuradha Sharma की प्रेरणादायक नृत्य यात्रा । Kathak Dance । Photo Highlights


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