एनसीआर की जनता की आवाज़ बना CONRWA, स्वास्थ्य बीमा से लेकर जीएसटी तक उठाई जनता की चिंताएं
टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (14 जून 2025): राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के लाखों नागरिकों की आवाज़ को मजबूती से सरकार तक पहुंचाने वाला संगठन “कनफेडरेशन ऑफ एनसीआर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन” (CONRWA) बीते एक दशक से जनकल्याण के मोर्चे पर सक्रिय है। 2013 में स्थापित यह शीर्ष संस्था NCR के विभिन्न जिलों की RWA और फेडरेशनों का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाना और अंतरराज्यीय सेवाओं की बाधाओं को दूर करने के लिए ठोस सुझाव देना है।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% GST क्यों?
CONRWA ने वरिष्ठ नागरिकों की सबसे बड़ी चिंता – स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी – को जोरशोर से उठाया है। संगठन का कहना है कि इलाज का खर्च लोगों को कर्ज में डुबो देता है और स्वास्थ्य बीमा ही एकमात्र सहारा है। लेकिन उस पर भी 18% जीएसटी का बोझ एक असंवेदनशील कदम है।
09 सितंबर 2024 को हुई 54वीं GST काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं आया है। केवल एक मंत्रियों के समूह (GoM) का गठन किया गया, जिसने अब तक अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की। CONRWA की मांग है कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को पूरी तरह से जीएसटी से मुक्त किया जाए, जिससे वरिष्ठ नागरिकों और मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत मिल सके।
स्वास्थ्य सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं, तो जीएसटी क्यों?
भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को जीएसटी से छूट दी गई हो, लेकिन अस्पतालों को इलाज में उपयोग होने वाले उपकरणों और सामग्री पर जीएसटी भरना पड़ता है। चूंकि अस्पताल इन सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं ले सकते, इसलिए यह लागत सीधा मरीजों से वसूली जाती है।
उदाहरण के तौर पर, डायलिसिस मशीन और उपकरणों पर 12% तक जीएसटी लगाया गया है, जबकि पहले यह 5% था। पेसमेकर पर 18% और CRT-ICD डिवाइसेज़ पर 12% टैक्स ने हजारों रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ाया है। CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) ने भी इस पर चिंता जताई है और सुझाव दिया है कि सभी मेडिकल बिलों पर 5% फ्लैट जीएसटी हो, और अस्पतालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिले। इससे मरीजों के मेडिकल बिल कम होंगे।
NCR प्लानिंग बोर्ड: 40 साल बाद भी काम अधूरा!
CONRWA ने एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए हैं। 1985 में बना यह बोर्ड अब तक क्षेत्रीय समस्याओं जैसे प्रदूषण, यातायात, आवास, जल संकट और परिवहन पर कोई ठोस काम नहीं कर पाया है। जबकि इसके पास 7000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उपलब्ध है।
वर्तमान में एनसीआर के सभी चार राज्यों में एक ही राजनीतिक दल का शासन है, ऐसे में समन्वय की कमी का कोई बहाना नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद बोर्ड ने 2021-22 के बाद कोई गतिविधि रिपोर्ट जारी नहीं की है। यह न केवल पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है, बल्कि इसकी धीमी कार्यप्रणाली को भी उजागर करता है।
CONRWA ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह एनसीआर बोर्ड की निष्क्रियता पर संज्ञान ले और इसे पुनः सक्रिय करे, ताकि 7 करोड़ से अधिक की आबादी को राहत मिले और यह क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में अपना सही योगदान दे सके।
CONRWA जैसे संगठन आज सिर्फ शिकायत नहीं कर रहे, बल्कि स्पष्ट और ठोस सुझावों के साथ जनता की असली समस्याओं को आवाज़ दे रहे हैं। NCR में रहने वाले लाखों लोग अब एक उम्मीद से CONRWA की ओर देख रहे हैं , एक बेहतर जीवन, बेहतर सेवाएं और एक जवाबदेह प्रशासन की दिशा में।
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