कांग्रेस की न्याय यात्रा से केंद्रीय नेतृत्व ने बनाई दूरी: भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (08 दिसंबर 2024): दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव की “न्याय यात्रा” पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह यात्रा कांग्रेस को जनता के बीच जीवित करने की बजाय और कमजोर कर गई। उन्होंने दावा किया कि इस यात्रा ने कांग्रेस की जमीनी पकड़ को खत्म कर दिया और इसका असर पार्टी के नेताओं में भी दिखा।

कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बनाई दूरी

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि देवेंद्र यादव की न्याय यात्रा में न केवल कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अनुपस्थित रहा, बल्कि दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख नेता भी दूरी बनाए रहे। जयप्रकाश अग्रवाल, जगदीश टाइटलर, डॉ. नरेंद्र नाथ, हारून यूसुफ, अभिषेक दत्त, मंगतराम सिंघल, और अनिल चौधरी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने इस यात्रा में हिस्सा नहीं लिया।

कांग्रेस नेताओं का आम आदमी पार्टी में शामिल होना

प्रवीण शंकर कपूर ने बताया कि जब देवेंद्र यादव न्याय यात्रा निकाल रहे थे, उसी दौरान कांग्रेस के दो प्रमुख नेता पूर्व विधायक मतीन अहमद और वीर सिंह धिंगन आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने इसे कांग्रेस की कमजोरी और नेतृत्वहीनता का प्रमाण बताया।

यात्रा में कमजोर भागीदारी और पुलिस की उपस्थिति ज्यादा

कपूर ने कहा कि कांग्रेस की न्याय यात्रा में कई बार ऐसे क्षण आए जब पुलिस की संख्या कार्यकर्ताओं से ज्यादा थी। इसके चलते, कई बार यात्रा को बीच में ही छोटा करना पड़ा। उन्होंने इसे कांग्रेस की जमीनी ताकत की गिरावट का प्रतीक बताया।

भाजपा की परिवर्तन यात्रा पर प्रतिक्रिया

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि देवेंद्र यादव को भाजपा की परिवर्तन यात्रा की चिंता करने के बजाय यह बताना चाहिए कि कांग्रेस की न्याय यात्रा में ऐसा क्या हुआ जिससे जनता में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह यात्रा केवल अरविंद केजरीवाल के इशारे पर निकाली गई थी।

कांग्रेस की स्थिति पर तंज

कपूर ने कहा कि कांग्रेस की न्याय यात्रा न केवल असफल रही, बल्कि इससे पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में मनोबल गिरा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राजनीतिक यात्राएं आम तौर पर पार्टी को मजबूत करती हैं, लेकिन कांग्रेस की यह यात्रा उल्टा परिणाम दे गई।

यह स्पष्ट है कि कांग्रेस की न्याय यात्रा न केवल पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण रही, बल्कि इससे पार्टी के अंदरूनी मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी भी उजागर हुई।।


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