दिल्ली में अपनी शिकायतों को लेकर सीधे डीसीपी से कर सकेंगे बात, जानें पूरी डिटेल्स

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (03 मार्च 2025): दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जनता की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) की शुरुआत की है। इसके तहत उत्तर बाहरी दिल्ली के आठ पुलिस थानों में नागरिकों को DCP (जिला पुलिस उपायुक्त) से सीधे संवाद करने की सुविधा दी जा रही है। इस नई व्यवस्था में पुलिस थानों में एक विशेष बूथ स्थापित किया गया है, जहां टैबलेट के माध्यम से शिकायतकर्ता “Talk to DCP” (डीसीपी से बात करें) ऐप का उपयोग करके अपनी शिकायत सीधे डीसीपी तक पहुंचा सकते हैं। यह कदम उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी होगा, जिन्हें स्थानीय पुलिस द्वारा उचित प्रतिक्रिया नहीं मिलती।

किन पुलिस थानों में शुरू हुआ यह पायलट प्रोजेक्ट?

यह प्रोजेक्ट नरेला, भलस्वा डेयरी, बवाना, शाहबाद डेयरी, नरेला इंडस्ट्रियल एरिया, समयपुर बादली, स्वरूप नगर और अलीपुर पुलिस थानों में लागू किया गया है। इन थानों से डीसीपी को रोजाना चार से पांच शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इस प्रणाली को भविष्य में और भी अधिक सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे आम जनता को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संवाद करने में आसानी हो।

कैसे काम करेगा “Talk to DCP” सिस्टम?

इस पहल के तहत पुलिस स्टेशनों में लगे टैबलेट में “Talk to DCP” ऐप इंस्टॉल किया गया है। जब कोई व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज कराना चाहता है, तो उसे सिर्फ ऐप में एक बटन दबाना होगा, जिसके बाद वह डीसीपी से सीधे बात कर सकता है। इसके बाद डीसीपी मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित एसएचओ (थाना प्रभारी) को निर्देश देते हैं कि वह तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें।

शिकायतों के समाधान की प्रक्रिया

1. शिकायतकर्ता टैबलेट के माध्यम से डीसीपी से सीधे अपनी समस्या साझा करता है।

2. डीसीपी तुरंत संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश देते हैं।

3. पुलिस स्टेशन का वरिष्ठ अधिकारी या एसएचओ शिकायतकर्ता से मिलकर उसका समाधान करता है।

4. यदि एसएचओ शिकायत का समाधान नहीं कर पाता, तो मामला एसीपी (असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस) या एसडीपीओ (सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर) को भेज दिया जाता है।

5. अगर वहां भी शिकायत का निवारण नहीं होता, तो नागरिक को डीसीपी से सीधे बात करने का अंतिम अवसर दिया जाता है।

डीसीपी कार्यालय में शिकायतों का रिकॉर्ड रखने के लिए एक विशेष रजिस्टर तैयार किया जाएगा। इस रजिस्टर में हर शिकायत का विवरण दर्ज किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी मामला अनदेखा न हो। साथ ही, पुलिस विभाग शिकायतकर्ताओं से समय-समय पर फीडबैक भी लेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी समस्या का समाधान उचित समय पर किया गया या नहीं।

उत्तर बाहरी दिल्ली के डीसीपी निधिन वालसन ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य जनता की शिकायतों को तेजी से और प्रभावी तरीके से निपटाना है। उन्होंने कहा, “कई बार प्रशासनिक देरी, वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपलब्धता या भौगोलिक बाधाओं के कारण नागरिकों की शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं। यह नई व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक शिकायत को गंभीरता से लिया जाए और उसका समाधान जल्दी किया जाए।”

यह पहल उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होगी, जिनकी शिकायतें स्थानीय पुलिस द्वारा अनदेखी की जाती हैं या जिनके मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। अब नागरिकों को वरिष्ठ अधिकारियों तक अपनी समस्या पहुंचाने के लिए किसी सिफारिश या भागदौड़ की जरूरत नहीं होगी। यह प्रणाली पुलिसिंग को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगी, जिससे जनता का पुलिस पर भरोसा भी बढ़ेगा। अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे दिल्ली के अन्य पुलिस स्टेशनों और सार्वजनिक स्थलों पर भी लागू किया जाएगा। इससे न केवल शिकायतों के समाधान में तेजी आएगी, बल्कि पुलिस और नागरिकों के बीच बेहतर संवाद और विश्वास भी स्थापित होगा। दिल्ली पुलिस का यह कदम जनता के लिए एक सकारात्मक बदलाव साबित हो सकता है।


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