चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (12 फरवरी 2025): सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं की घोषणा करने की प्रथा पर सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि मुफ्त में राशन और पैसे मिलने के कारण लोग अब काम करने को तैयार नहीं हैं। यह टिप्पणी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शहरी क्षेत्रों में बेघर व्यक्तियों के आश्रय के अधिकार से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान की।

मुफ्त योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा, “दुर्भाग्य से, इन मुफ्त उपहारों के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। उन्हें मुफ्त में राशन और पैसे मिल रहे हैं, जिससे वे काम करने से बच रहे हैं।” पीठ ने इस पर चिंता जताई कि क्या यह बेहतर नहीं होगा कि इन लाभार्थियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाए और उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान करने का अवसर दिया जाए।

शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन पर केंद्र सरकार की योजना

सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इस मिशन के तहत शहरी बेघरों के लिए आश्रय सहित कई अन्य समस्याओं का समाधान किया जाएगा। अदालत ने सरकार से यह सत्यापित करने को कहा कि यह मिशन कितने समय के भीतर लागू किया जाएगा।

छह सप्ताह बाद फिर होगी सुनवाई

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित की है। इस दौरान केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन कब तक पूरी तरह लागू किया जाएगा और इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलकों में भी इस मुद्दे पर बहस तेज हो सकती है। जहां एक तरफ मुफ्त योजनाओं को गरीबों के लिए राहत के तौर पर देखा जाता है, वहीं दूसरी ओर अदालत ने इस पर सवाल उठाते हुए इसे काम करने की प्रवृत्ति में कमी का कारण बताया है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मुद्दे पर सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों की क्या प्रतिक्रिया आती है।


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