नई दिल्ली (11 फरवरी 2025): दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) की करारी हार को लेकर चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने कई अहम कारण गिनाए हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का अस्थिर राजनीतिक रुख और राजधानी में बढ़ती सत्ता विरोधी लहर इस हार के मुख्य कारक रहे।
इंडिया टुडे को दिए गए साक्षात्कार में किशोर ने कहा कि केजरीवाल का विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के साथ हाथ मिलाना और फिर चुनावों से ठीक पहले उससे बाहर निकल जाना, उनकी पार्टी के लिए घातक साबित हुआ। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और लालू प्रसाद जैसे नेताओं के साथ जुड़ना, जो शुरुआती दिनों में AAP के कट्टर विरोधी थे, पार्टी की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला था।
किशोर ने यह भी कहा कि शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार होने के बाद भी केजरीवाल का मुख्यमंत्री पद न छोड़ना एक बड़ी रणनीतिक भूल थी। उन्होंने कहा, “दिल्ली में AAP की हार का सबसे बड़ा कारण 10 साल की सत्ता विरोधी लहर थी। दूसरा और शायद सबसे अहम कारण यह रहा कि अरविंद केजरीवाल ने जेल से रिहा होने के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया, लेकिन चुनाव से पहले किसी और को मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ी गलती साबित हुई।”
इसके अलावा, प्रशांत किशोर ने कहा कि बीते वर्षों में केजरीवाल सरकार का शासन मॉडल भी कमजोर पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि जलभराव, खराब सड़कें और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों की कठिनाइयों को दूर करने में सरकार नाकाम रही। किशोर के अनुसार, “दिल्ली के लोग, खासकर गरीब तबका, बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता नहीं दिखा पाई, जिससे लोगों का भरोसा कमजोर हुआ।”
प्रशांत किशोर के इस विश्लेषण से साफ है कि AAP की हार सिर्फ राजनीतिक फैसलों की वजह से नहीं हुई, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी कमजोरियों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। अब देखना होगा कि इस हार से AAP और अरविंद केजरीवाल क्या सबक लेते हैं और आगे की रणनीति कैसी बनाते हैं।
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