मुस्तफाबाद विधानसभा: मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारे की जंग, ओवैसी ने बिगाड़ा खेल!
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (27 जनवरी 2025): दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के उम्मीदवार यहां अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में हैं। यह सीट 40% मुस्लिम वोट बैंक के कारण हमेशा से ही चर्चा में रही है और इस बार इसका बंटवारा चुनावी परिणामों में अहम भूमिका निभा सकता है।
आम आदमी पार्टी ने युवा चेहरे के रूप में आदिल अहमद खान को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने अली मेहंदी पर दांव लगाया है। वहीं, एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मैदान में उतारकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जहां मुस्लिम वोटरों को साधने में जुटी हैं, वहीं ताहिर हुसैन के पक्ष में इलाके में सहानुभूति की लहर भी देखी जा रही है।
बीजेपी ने इस सीट से मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है। मोहन सिंह बिष्ट उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मजबूत पकड़ रखते हैं और करावल नगर से कई बार विधायक रह चुके हैं। बीजेपी ने 40% मुस्लिम वोट बैंक को छोड़कर शेष 60% वोटरों को साधने पर फोकस किया है।
मुस्तफाबाद का चुनावी इतिहास
मुस्तफाबाद सीट हमेशा से कड़ा मुकाबला देखने के लिए जानी जाती रही है। 2008 में कांग्रेस के हसन अहमद ने 40.7% वोट पाकर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी 39.69% वोटों के साथ मामूली अंतर से हार गई थी। 2013 में हसन अहमद ने फिर से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर रही।
2015 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की। जगदीश प्रधान ने 35.33% वोटों के साथ कांग्रेस के हसन अहमद को हराया। हालांकि, कांग्रेस और बीजेपी दोनों के वोट प्रतिशत में गिरावट देखने को मिली।
2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के हाजी यूनुस ने 53.2% वोटों के साथ इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की, जबकि बीजेपी 42.06% वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा और उसे केवल 2.89% वोट ही मिले।
इस बार मुकाबला तगड़ा
इस बार मुस्तफाबाद सीट पर सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक को लेकर कड़ी टक्कर में हैं, जबकि एआईएमआईएम ने ताहिर हुसैन को उतारकर समीकरण को और पेचीदा बना दिया है। बीजेपी भी अपनी पुरानी पकड़ को भुनाने और शेष वोटरों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आम आदमी पार्टी इस सीट पर अपना वर्चस्व कायम रख पाएगी, या बीजेपी और कांग्रेस अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने में सफल होंगी। मुस्लिम वोट बैंक का बंटवारा इस बार के नतीजों में सबसे बड़ी भूमिका निभाएगा।।
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