पराली प्रबंधन के लिए किसानों को प्रति एकड़ ₹2,500 की मदद का प्रस्ताव: राघव चड्ढा, AAP सांसद

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (03 दिसंबर 2024): आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को राज्यसभा में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए किसानों के हित में एक अहम प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने पराली के सही प्रबंधन के लिए किसानों को प्रति एकड़ ₹2,500 की आर्थिक सहायता देने का सुझाव दिया। इस प्रस्ताव में ₹2,000 केंद्र सरकार और ₹500 राज्य सरकार द्वारा देने की बात कही गई, ताकि किसान पराली जलाने के बजाय उसके उचित प्रबंधन को अपनाएं।

राघव चड्ढा ने कहा, “आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की बहुत बात करते हैं, लेकिन अब एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पर चर्चा करने का समय आ गया है। पराली का सही प्रबंधन तभी संभव होगा जब केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ठोस कदम उठाएं।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली का नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत का मुद्दा है और इसके समाधान के लिए शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों उपायों की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है। दिल्ली, नोएडा, मुजफ्फरनगर, हापुड़, आगरा, फरीदाबाद, भिवानी और विदिशा जैसे शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। “हम हर सांस के साथ जहरीला धुआं ले रहे हैं, लेकिन सारा दोष किसानों पर मढ़ दिया जाता है। किसान जानबूझकर पराली नहीं जलाते, बल्कि मजबूरी में ऐसा करते हैं,” उन्होंने कहा।

राघव चड्ढा ने किसानों की पीड़ा को रेखांकित करते हुए कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा के लिए पंजाब में धान की खेती शुरू हुई थी, लेकिन इससे राज्य को भारी नुकसान हुआ। भूजल स्तर गिर गया और मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई। उन्होंने कहा, “धान की कटाई के बाद किसान के पास पराली प्रबंधन के लिए महज 10-12 दिन होते हैं। अगर पराली समय पर साफ न हो तो अगली फसल की उपज पर असर पड़ता है। ऐसे में हैप्पी सीडर और पेडीचॉपर जैसी मशीनों के इस्तेमाल में प्रति एकड़ ₹2,000-₹3,000 का खर्च आता है, जो छोटे किसानों के लिए वहन करना मुश्किल है।”

राघव चड्ढा ने पराली प्रबंधन के लिए ₹2,500 प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता को शॉर्ट-टर्म समाधान बताया। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें इस आर्थिक सहायता को लागू करती हैं, तो किसान पराली जलाने के बजाय उसका प्रबंधन कर सकेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन को लॉन्ग-टर्म समाधान बताया। “हमें धान की खेती से हटकर मक्का, दालें, कपास और ऑयल सीड्स की ओर बढ़ना होगा,” उन्होंने कहा।

राघव चड्ढा का यह प्रस्ताव न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मददगार साबित हो सकता है, बल्कि वायु प्रदूषण की समस्या का भी एक प्रभावी समाधान बन सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह उत्तर भारत के इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाए और किसानों के हितों की रक्षा करते हुए वायु प्रदूषण की समस्या का हल निकाले।


Discover more from टेन न्यूज हिंदी

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

टिप्पणियाँ बंद हैं।