सुप्रीम कोर्ट का आदेश आवारा कुत्तों को हटाने पर देशभर में बहस, आदेश सुनकर रो पड़ीं महिला वकील ननिता शर्मा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (07 November 2025): सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर में बढ़ती कुत्तों के काटने की घटनाओं को देखते हुए आवारा कुत्तों के प्रबंधन पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने आदेश दिया कि स्कूलों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों जैसे सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को पकड़कर निर्धारित शेल्टर हाउस में शिफ्ट किया जाए। अदालत ने साथ ही निर्देश दिया कि इन कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद सुरक्षित आश्रय स्थलों में रखा जाए और उन्हें दोबारा उन्हीं जगहों पर छोड़ा न जाए। यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनाया।

डॉग लवर्स और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं में निराशा

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर के डॉग लवर्स और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिली है। उनका कहना है कि यह आदेश उन “बेजुबान जीवों” के प्रति अन्याय है जिनकी गलती केवल यह है कि उनके पास कोई घर नहीं है। कई पशु प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजना उनकी स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता छीनने जैसा है।

अदालत में भावुक हुईं वकील ननिता शर्मा

इस मामले की याचिकाकर्ता और अधिवक्ता ननिता शर्मा सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुनते ही भावनात्मक हो उठीं। मीडिया से बातचीत के दौरान वे फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने कहा, “आज जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। 11 अगस्त वाला आदेश फिर से लौटा है। अब सभी सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटा दिया जाएगा और उन्हें वापस नहीं आने दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि इन कुत्तों के लिए निगरानी अधिकारी तो नियुक्त किए जाएंगे, लेकिन यह नहीं बताया गया कि उनकी देखभाल और जीवन की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।

‘मैं ईश्वरीय न्याय में विश्वास रखती हूं’

ननिता शर्मा ने कहा कि वह अभी भी ईश्वरीय न्याय में विश्वास रखती हैं और आशा करती हैं कि एक दिन इन बेजुबान प्राणियों के साथ न्याय होगा। उन्होंने कहा, “इन जानवरों को पता भी नहीं कि आगे उनके साथ क्या होने वाला है। शेल्टर हाउस की स्थिति क्या है, यह हम सब जानते हैं। वहां भोजन, देखभाल और खुली जगह का अभाव है। ऐसे में उन्हें वहां भेजना किसी सजा से कम नहीं।” उनका मानना है कि समस्या का समाधान दंडात्मक नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के निर्देश और असर

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control) नियम 2023 का सख्ती से पालन किया जाए। साथ ही, स्थानीय निकायों को नियमित निरीक्षण और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सड़कों और राजमार्गों से गाय जैसे अन्य आवारा पशुओं को भी तत्काल हटाया जाए। हालांकि, इस आदेश ने एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है — क्या सार्वजनिक सुरक्षा के नाम पर पशु अधिकारों को सीमित किया जा सकता है? अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार और नगर निकाय इस आदेश को किस रूप में लागू करते हैं और क्या इसके बीच कोई मानवीय रास्ता निकलेगा।।


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