New Delhi News (30 October 2025): जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (JNUSU) चुनाव 2025 से पहले लेफ्ट यूनिटी पैनल (AISA–SFI–DSF) ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पैनल ने कहा कि जेएनयू में छात्रों की आवाज को किसी भी तरह दबाया नहीं जा सकता। घोषणा के दौरान पैनल ने दावा किया कि बीते सत्र में वाम नेतृत्व वाली छात्रसंघ ने प्रशासनिक दमन के बावजूद छात्रों के अधिकारों की रक्षा में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। पैनल ने कहा कि छात्र संघर्ष की यह परंपरा नई टीम के साथ और मजबूत होगी।
छात्र हितों की रक्षा में पिछले सत्र की भूमिका
लेफ्ट यूनिटी ने बताया कि नीतिश कुमार (अध्यक्ष), मनीषा (उपाध्यक्ष) और मुन्तेहा फातिमा (महासचिव) के नेतृत्व में पिछले सत्र की टीम ने छात्रावास निष्कासन, छात्रवृत्ति में कटौती और फीस वृद्धि जैसे मुद्दों पर निर्णायक लड़ाई लड़ी। इन आंदोलनों ने प्रशासन को कई बार अपने आदेश वापस लेने पर मजबूर किया। वहीं, एबीवीपी से चुने गए संयुक्त सचिव पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने छात्रों से जुड़े किसी भी संघर्ष में भाग नहीं लिया और अपने कार्यकाल के दौरान निष्क्रिय बने रहे।
हॉस्टल और स्कॉलरशिप विवादों पर वामपंथी संघर्ष
जून 2025 में जब प्रशासन ने पीएचडी के अंतिम वर्ष के छात्रों को हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया, तो वाम छात्र संगठनों ने 16 दिन तक भूख हड़ताल कर इसका विरोध किया। इस आंदोलन के बाद प्रशासन को आदेश वापस लेना पड़ा। इसी तरह Merit-cum-Means (MCM) स्कॉलरशिप में कटौती की कोशिशों के खिलाफ भी छात्रों ने एकजुटता दिखाई और प्रशासन को निर्णय बदलना पड़ा। छात्र नेताओं ने कहा कि यह जीत छात्र एकता और लोकतांत्रिक संघर्ष का परिणाम है।
जेएनयूईई बहाली और नई टीम की घोषणा
लेफ्ट यूनिटी ने प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग को लेकर जेएनयू एंट्रेंस एग्ज़ाम (JNUEE) की बहाली की लड़ाई भी जारी रखी। इस दौरान 16 दिनों की हड़ताल के बाद प्रशासन को झुकना पड़ा और यूजीसी-नेट आवेदकों को पीएचडी प्रक्रिया में शामिल किया गया। आगामी सत्र (2025–26) के लिए पैनल ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है — अध्यक्ष पद पर अदिति मिश्रा, उपाध्यक्ष किझाकूट गोपिका बाबू, महासचिव सुनील यादव और संयुक्त सचिव दानिश अली को उम्मीदवार बनाया गया है।
‘छात्रसंघ आंदोलन की आत्मा है’
पैनल ने कहा कि उनका संघर्ष केवल चुनाव जीतने का नहीं, बल्कि जेएनयू की बहस, विविधता और आलोचनात्मक सोच की परंपरा को बचाने का है। उन्होंने कहा कि वे निजीकरण और भगवाकरण के हर प्रयास का विरोध जारी रखेंगे। पैनल ने दोहराया कि छात्रसंघ केवल एक प्रतिनिधि निकाय नहीं, बल्कि हर छात्र की आवाज और विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक चरित्र की आत्मा है।।
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