दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल सफल, जल्द हो सकती है कृत्रिम बारिश

टेन न्यूज नेटवर्क

New Delhi News (28 October 2025): दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए रेखा गुप्ता सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार (28 अक्टूबर) को राजधानी के कई इलाकों में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया गया। यह तकनीक कृत्रिम रूप से बारिश करवाने की प्रक्रिया है, जिससे हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों को नीचे बैठाया जा सके। जानकारी के अनुसार, सुबह कानपुर से उड़े सेसना विमान ने उत्तरी और बाहरी दिल्ली के ऊपर उड़ान भरकर क्लाउड सीडिंग की। ट्रायल के बाद विमान मेरठ लौट गया।

इन इलाकों में हुआ क्लाउड सीडिंग का ट्रायल

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि मंगलवार को मेरठ से उड़े विमान ने खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और आसपास के क्षेत्रों में क्लाउड सीडिंग की। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में आठ फ्लेयर का उपयोग किया गया और यह लगभग आधे घंटे तक चला। मंत्री ने बताया कि अगर मौसम ने साथ दिया तो दिन में दूसरा और तीसरा ट्रायल भी किया जाएगा। उम्मीद है कि अगले चार घंटे के भीतर कृत्रिम बारिश हो सकती है, जो दिल्ली के प्रदूषण स्तर को घटाने में मदद करेगी।

दिल्ली से पहले इन शहरों में हो चुका प्रयोग

दिल्ली में यह पहली बार है जब इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इससे पहले मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में क्लाउड सीडिंग की जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि कृत्रिम बारिश से हवा में मौजूद धूल, धुआं और सूक्ष्म कण नीचे बैठ जाते हैं, जिससे एक्यूआई में सुधार होता है। फिलहाल दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले हफ्तों में इसे दोबारा दोहराया जाएगा।

IIT कानपुर दे रहा तकनीकी सहयोग

इस प्रोजेक्ट में दिल्ली सरकार को IIT कानपुर के वैज्ञानिकों का तकनीकी सहयोग मिल रहा है। IIT कानपुर पहले भी क्लाउड सीडिंग तकनीक पर सफलतापूर्वक काम कर चुका है। वैज्ञानिकों की एक टीम ने मौसम की स्थिति का अध्ययन कर सीडिंग के लिए उपयुक्त बादलों की पहचान की। सरकार को उम्मीद है कि इस प्रयोग से प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय कमी आएगी और लोगों को राहत मिलेगी।

स्वच्छ हवा की दिशा में बड़ा कदम

रेखा गुप्ता सरकार का यह कदम राजधानी को स्वच्छ और सांस लेने योग्य बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास माना जा रहा है। पर्यावरण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर मौसम ने सहयोग किया तो आने वाले दिनों में यह तकनीक नियमित अंतराल पर अपनाई जा सकती है। कृत्रिम बारिश से जहां प्रदूषण घटेगा, वहीं इससे नमी बढ़ने से धूल का उड़ना भी कम होगा। विशेषज्ञों ने कहा है कि यह पहल दिल्ली के पर्यावरण सुधार अभियान में एक “गेम चेंजर” साबित हो सकती है।।


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