दिल्ली वासियों को फ्री सुविधाएं देनी है तो नेता अपना घर बेचकर दें: रंजीत भसीन, ग्रेटर कैलाश विधानसभा

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (04 जनवरी 2024): दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर टेन न्यूज नेटवर्क की टीम समाज में प्रभावशाली और जागरूक व्यक्तियों से बातचीत कर रही है और प्रबुद्ध लोगों के राजनीतिक विचार को जानने का प्रयास कर रही है। टेन न्यूज नेटवर्क विशेष साक्षात्कार के माध्यम से ऐसे महानुभावों से बात कर रही है जो जनता की समस्याओं और उनके समाधान को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण रखते हैं। इसी सिलसिले में आज हमारे साथ ग्रेटर कैलाश विधानसभा से जाने-माने समाजसेवी एवं उद्यमी रंजीत भसीन मौजूद रहे। रंजीत भसीन ने न केवल समाज की वर्तमान समस्याओं पर बेबाकी से अपनी राय रखी, बल्कि दिल्ली के विकास और राजनीति में सुधार के लिए अहम सुझाव भी दिए।

जाने-माने समाजसेवी और उद्यमी रंजीत भसीन ने टेन न्यूज़ से विशेष बातचीत में कहा, “मेरा मानना है कि हमें बच्चों को सक्षम बनाना चाहिए, उन्हें रोजगार के अवसर देना चाहिए और इस काबिल बनाना चाहिए कि वे खुद आत्मनिर्भर होकर कमा सकें। सुविधाएं जैसे बस सेवा, बिजली और पानी, इन सबका मूल्य लोगों को चुकाना चाहिए। अगर हम सब कुछ मुफ्त में बांटेंगे, तो लोगों के बीच उस चीज़ की कद्र नहीं रह जाएगी।

सरकार की ₹2100 जैसी योजनाएं असल में लोगों का पैसा ही है, जो बिना सोचे-समझे बांटा जा रहा है। ये जनता के पैसों का दुरुपयोग है। मैं पूछना चाहता हूं कि हमारे नेता अपने काम पर ध्यान क्यों नहीं देते? दिल्ली का हाल दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है। बिजली और पानी पर दी जा रही सब्सिडी से जितना पैसा बचता है, उससे ज्यादा पेट्रोल और डीजल पर बर्बाद हो रहा है।

हमें एक पॉल्यूशन-फ्री दिल्ली चाहिए। लेकिन अफसोस की बात है कि किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। हर कोई सिर्फ चुनाव जीतने और वोट बैंक बनाने में व्यस्त है। जनता को गुमराह किया जा रहा है। पंजाब का हाल तो सबके सामने है, और दिल्ली भी उसी रास्ते पर जा रही है।

पहले शीला दीक्षित और साहिब सिंह जी ने दिल्ली में काम किया था। लेकिन अब काम लगभग ठप हो गया है। आज तक मैंने केजरीवाल जी को सड़कों पर जाते हुए नहीं देखा, जबकि शीला दीक्षित जी को हर हफ्ते लोगों के बीच देखा करते थे। मैं हाथ जोड़कर सरकार से विनती करता हूं कि दिल्ली के विकास पर ध्यान दें और इसे बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

सरकार की ये मुफ्त योजनाएं फर्स्ट एड की तरह हैं, बीमार लोगों को कुछ समय के लिए राहत देती हैं, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं करतीं। इस तरह की योजनाओं से पब्लिक और बच्चे दोनों का विकास रुक रहा है।

अगर एक बच्चा ₹18,000–₹20,000 कमा रहा हो, तो वह डीटीसी का पास खुद बनवा सकता है। महिलाएं भी अपने खर्चे खुद उठा सकती हैं। लेकिन मुफ्त सेवाएं देकर आप उन्हें आत्मनिर्भर बनने से रोक रहे हैं। सरकार को विकास कार्यों में पैसा लगाना चाहिए, न कि इसे वोट खरीदने के लिए मुफ्त बांटने में। बच्चों को सक्षम बनाइए, क्योंकि फ्री योजनाएं उन्हें सिर्फ बेकार बना रही हैं।”

समाजसेवी रंजीत भसीन जी ने दिल्ली के वर्तमान हालात और सरकार की नीतियों पर अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने फ्री योजनाओं के दुरुपयोग और पब्लिक के सशक्तिकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि दिल्ली को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस और विकासात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है, न कि चुनावी लाभ के लिए मुफ्त सेवाओं का वितरण।।

 


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