“राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता की लड़ाई: 2013 के एडीआर मामलों ने उजागर की विदेशी फंडिंग और आरटीआई की सच्चाई”

टेन न्यूज नेटवर्क

National News (12/10/2025): भारत में राजनीतिक फंडिंग और पारदर्शिता से जुड़ी बहस को नई दिशा देने वाले दो अहम मामले वर्ष 2013 में सामने आए थे। इन दोनों मामलों में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी — एक में राजनीतिक दलों की विदेशी चंदा प्राप्ति को लेकर और दूसरे में उन्हें आरटीआई के दायरे में लाने को लेकर।

पहला मामला विदेशी फंडिंग से जुड़ा था। एडीआर और पूर्व नौकरशाह ई.ए.एस. शर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर दिल्ली हाईकोर्ट ने मार्च 2014 में फैसला सुनाया। अदालत ने पाया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2004 से 2012 के बीच यूके की वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी की भारतीय सहयोगी कंपनियों से फंड प्राप्त किया था, जो कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976 का उल्लंघन था।

इस फैसले के बाद सरकार ने 2016 और 2018 के वित्त अधिनियमों में संशोधन कर “विदेशी कंपनी” की परिभाषा बदल दी, जिससे इन राजनीतिक दलों को पिछली फंडिंग पर कानूनी राहत मिल गई। एडीआर ने इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि यह संशोधन न्यायालय के आदेश को दरकिनार करता है और विदेशी कॉर्पोरेट फंडिंग के लिए रास्ता खोलता है।

दूसरा मामला सूचना के अधिकार (RTI) से जुड़ा था। जून 2013 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने आदेश दिया कि छह राष्ट्रीय दल — बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, सीपीआई, सीपीआई(एम) और एनसीपी — “लोक प्राधिकरण” की श्रेणी में आते हैं, अतः उन्हें नागरिकों के प्रश्नों का उत्तर आरटीआई कानून के तहत देना चाहिए। हालांकि, सभी दलों ने इस आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया। इसके बाद एडीआर ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, ताकि दलों को आरटीआई के तहत जवाबदेह बनाया जा सके।

इन दोनों मामलों का प्रभाव भारतीय लोकतंत्र पर गहरा रहा। 2013 का विदेशी फंडिंग केस आगे चलकर इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की पृष्ठभूमि बना — जिसे सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में असंवैधानिक घोषित किया। वहीं, राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने की एडीआर की मांग आज भी राजनीतिक पारदर्शिता की लड़ाई का प्रतीक बनी हुई है।

डिस्क्लेमर: यह लेख / न्यूज आर्टिकल सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी और प्रतिष्ठित /विश्वस्त मीडिया स्रोतों से मिली जानकारी पर आधारित है।।


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