Noida Authority ने टोल ब्रिज कंपनी को भेजा ₹100.71 करोड़ का नोटिस, क्या है पूरा मामला?

टेन न्यूज नेटवर्क

NOIDA News (16/09/2025): नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने डीएनडी फ्लाईवे के संचालन से जुड़ी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (NTBCL) को 100 करोड़ 71 लाख रुपये का अतिरिक्त विज्ञापन शुल्क चुकाने का नोटिस जारी किया है। यह राशि अप्रैल 2018 से अप्रैल 2025 तक की बकाया शुल्क को लेकर मांगी गई है। अधिकारियों का कहना है कि कंपनी ने तय दरों से कम शुल्क का भुगतान किया है, जिससे प्राधिकरण को भारी राजस्व नुकसान हुआ है।

प्राधिकरण और टोल कंपनी के बीच चल रहा है पुराना विवाद

डीएनडी फ्लाईवे को लेकर नोएडा प्राधिकरण और नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के बीच वर्षों पुराना एग्रीमेंट है। साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद डीएनडी को टोल फ्री कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने डीएनडी पर बड़े पैमाने पर विज्ञापन होर्डिंग्स (Advertisement Hoardings) लगवाकर कमाई जारी रखी। प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, शुरू से ही डीएनडी मार्ग पर विज्ञापन लगाने के लिए एक निर्धारित शुल्क ढांचा मौजूद रहा है, लेकिन कंपनी ने उस ढांचे के अनुरूप भुगतान नहीं किया।

बढ़ी दरें, लेकिन कंपनी ने नहीं दिया समुचित भुगतान

नोएडा प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में डीएनडी जैसी प्रमुख सड़क पर विज्ञापन शुल्क 500 रुपये प्रति रिक्वायर फीट निर्धारित है। जबकि टोल कंपनी अभी भी केवल 125 रुपये प्रति रिक्वायर फीट की दर से भुगतान कर रही है, जो कि पुरानी दर है। बीते कुछ वर्षों में प्राधिकरण ने विज्ञापन शुल्क दरों में कई बार बढ़ोतरी की, लेकिन कंपनी ने इस बदलाव को नज़रअंदाज़ कर भुगतान पुराने दर पर ही किया। इसी कारण अब सात वर्षों का बकाया एक साथ मांगा गया है।

15 दिन की मोहलत, नहीं चुकाने पर होगी कार्रवाई

नोएडा प्राधिकरण के प्रभारी प्रबंधक विभास त्यागी ने जानकारी दी कि टोल ब्रिज कंपनी को बकाया राशि चुकाने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यदि तय समय सीमा के भीतर भुगतान नहीं होता, तो नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। जांच में यह भी सामने आया है कि कंपनी ने विभिन्न ब्रांड्स के लिए बड़े-बड़े विज्ञापन बोर्ड्स लगवाकर उच्च लाभ कमाया, लेकिन प्राधिकरण को न्यूनतम दर पर भुगतान करती रही।

खाली जमीन पर भी है नजर, हो रहा है सर्वेक्षण

डीएनडी के आसपास के क्षेत्र में प्राधिकरण की काफी जमीन वर्षों से खाली पड़ी है। अधिकारियों के अनुसार, कुछ समय पहले तक यह 300 एकड़ से अधिक थी। अब इस भूमि का सटीक आंकलन करने के लिए एक समग्र सर्वेक्षण करवाने की योजना है, ताकि भविष्य में इसके व्यावसायिक उपयोग पर निर्णय लिया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट भी उठा चुका है सवाल

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी और प्राधिकरण के बीच हुए एग्रीमेंट पर सवाल उठाए थे। न्यायालय ने इस बात पर चिंता जताई थी कि टोल हटाए जाने के बावजूद कंपनी को विज्ञापन जैसे अन्य स्रोतों से मुनाफा होता रहा, लेकिन सार्वजनिक हितों की अनदेखी की गई। इस नोटिस के जरिए नोएडा प्राधिकरण ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह वित्तीय पारदर्शिता और अनुबंधों के अनुपालन को लेकर अब सख्त रुख अपनाने के मूड में है। आने वाले समय में इस विवाद के कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं में और तेजी देखी जा सकती है।


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