दिल्ली हाई कोर्ट का सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी पर सख्त रुख, भर्ती प्रक्रिया में तेजी के निर्देश
टेन न्यूज़ नेटवर्क
New Delhi News (13/08/2025): दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग ऑफिसर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, ऑडियोमैट्रिक असिस्टेंट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट के खाली पदों को भरने में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि रिजल्ट घोषित होने और जरूरी औपचारिकताएं पूरी होते ही भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए, अन्य पदों के विज्ञापन या भर्ती का इंतजार न किया जाए। कोर्ट ने इसे स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए बेहद अहम बताते हुए किसी भी तरह की बाधा न आने देने का आदेश दिया।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनीष एस. अरोड़ा की बेंच ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव को 22 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की समय पर नियुक्ति बेहद जरूरी है। यह मामला साल 2017 में हाई कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने के बाद शुरू हुआ था, जिसमें दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में गंभीर देखभाल और स्टाफ की भारी कमी के आरोप लगे थे।
इससे पहले, कोर्ट ने एम्स के डायरेक्टर को डॉक्टर एके सरीन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस कमेटी ने स्वास्थ्य प्रणाली में कई गंभीर खामियां उजागर की थीं, जिनमें खाली पड़े पद, विशेषज्ञ फैकल्टी की कमी और बुनियादी ढांचे की दिक्कतें प्रमुख थीं। मामले में एमिकस क्यूरी वकील अशोक अग्रवाल नियुक्त हैं, जिन्होंने बार-बार अस्पतालों में पर्याप्त स्टाफ और संसाधनों की कमी की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाया है।
दिल्ली सरकार ने 10 जुलाई को दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि नर्सिंग ऑफिसर्स और पैरामेडिकल स्टाफ के कई पद खाली हैं और उनकी भर्ती के परिणाम अप्रैल से दिसंबर 2025 के बीच घोषित किए जाएंगे। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि परिणाम घोषित होते ही नियुक्ति प्रक्रिया बिना देरी के शुरू होनी चाहिए, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज और सेवाएं मिल सकें।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 24 अधूरी अस्पताल परियोजनाओं पर भी गंभीर चिंता जताई, जिनका निर्माण कार्य लंबे समय से ठप पड़ा है। मई में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, इन परियोजनाओं की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई गई है और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। डॉक्टर सरीन कमेटी की एक अहम सिफारिश समर्पित पैलिएटिव केयर हॉस्पिटल बनाने की थी, जिस पर अब दिल्ली सरकार को अपना पक्ष अदालत के सामने रखना होगा।
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