फर्जी ‘इंटरनेशनल पुलिस ब्यूरो’ का भंडाफोड़: टीएमसी के पूर्व नेता समेत 6 गिरफ्तार

टेन न्यूज नेटवर्क

NOIDA News (12/08/2025): नोएडा पुलिस ने एक फर्जी पुलिस स्टेशन का पर्दाफाश करते हुए एक बड़े अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। यह फर्जी थाना ‘इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो’ (International Police and Crime Investigation Bureau) के नाम से नोएडा के सेक्टर 70 में संचालित हो रहा था। इस सिलसिले में पुलिस ने कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पूर्व नेता बिभास चंद्र अधिकारी और उनका बेटा भी शामिल हैं।

गैंग का मास्टरमाइंड (Mastermind) निकला बिभास अधिकारी

जांच के दौरान यह सामने आया है कि इस पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बिभास अधिकारी ही है। वह पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के नलहाटी से टीएमसी का पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष रह चुका है। बिभास अधिकारी का नाम पहले भी विवादों में रहा है। वह पश्चिम बंगाल में हुए चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) की जांच का सामना कर चुका है। वर्ष 2023 में इस घोटाले के सिलसिले में उसके विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।

फर्जी थाने की आड़ में रौब और ठगी

पुलिस के मुताबिक, आरोपी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को भ्रमित करता था। नोएडा में स्थापित इस फर्जी पुलिस ब्यूरो के ऑफिस में बाकायदा बोर्ड, सरकारी प्रतीक और अन्य दस्तावेज लगे हुए थे, जिससे यह असली संस्था की तरह दिखे। गिरफ्तारी के बाद पुलिस को कई जाली पहचान पत्र, लेटरहेड, स्टांप और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले हैं।

कोलकाता में भी थी समान गतिविधियाँ

कोलकाता पुलिस (Kolkata Police) की एक जांच में खुलासा हुआ है कि बिभास अधिकारी ने कोलकाता के बेलेघाटा इलाके में सीआईटी रोड पर दो फ्लैट किराए पर लिए थे। वहां भी उसने ‘सामाजिक न्याय की जांच’, ‘इंटरपोल’ और ‘पुलिस’ जैसे शब्दों वाले बोर्ड लगवाए थे। आरोपी नीली बत्ती लगी गाड़ी से, हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों के साथ इलाके में घूमता था, जिससे वह खुद को उच्च अधिकारी के रूप में पेश कर सके।

शिक्षा घोटाले में भी रहा है विवादित भूमिका

बिभास चंद्र अधिकारी का शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ा नेटवर्क बताया जा रहा है। वह कोलकाता और बीरभूम में बीएड और डीएलएड कॉलेजों का संचालन करता है। इसके अलावा वह ‘ठाकुर अनुकूल चंद्र सत्संग मिशन साधनपीठ ट्रस्ट’ का अध्यक्ष भी है। वर्ष 2016 में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले में बिभास पर बिचौलिया होने का आरोप लगा था। बाद में सीबीआई और ईडी की जांच में उसका नाम सामने आया था।

पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल की संभावना

नोएडा में हुई इस कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी गर्माहट आना तय माना जा रहा है। चूंकि बिभास अधिकारी कभी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, ऐसे में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। बिभास की गिरफ्तारी को आधार बनाकर बीजेपी, टीएमसी की कार्यशैली और कथित भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर सकती है।

नोएडा पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। इस फर्जी गैंग के और सदस्यों, नेटवर्क और वित्तीय स्रोतों का पता लगाया जा रहा है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस गिरोह ने कितने लोगों को ठगा और किन-किन संस्थाओं को अपने जाल में फंसाया।


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