निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण का विधेयक पेश, जुर्माने का भी प्रावधान

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (05/08/2025): दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से की जा रही फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन) विधेयक 2025’ दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। इस विधेयक के माध्यम से सरकार निजी स्कूलों की जवाबदेही तय करने और अभिभावकों को राहत देने का प्रयास कर रही है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद (Ashish Sood) ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह दिल्ली के लाखों अभिभावकों और छात्रों के हित में एक ऐतिहासिक पहल है। लंबे समय से निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वसूली की शिकायतें आ रही थीं। अब कानून बनाकर इस पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

इस विधेयक में साफ प्रावधान है कि यदि कोई निजी स्कूल निर्धारित नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर 1 लाख से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना पहली बार में लगाया जाएगा। यदि वही स्कूल बार-बार नियम तोड़ता है, तो उस पर 2 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अब केवल चेतावनी से बात नहीं बनेगी, बल्कि आर्थिक दंड के ज़रिए अनुशासन सुनिश्चित किया जाएगा। विधेयक में यह भी प्रावधान है कि जुर्माना न भरने की स्थिति में मान्यता तक रद्द की जा सकती है। सरकार इसे अभिभावकों के हित में बड़ा सुधार मान रही है।

स्कूल यदि निर्धारित समय के भीतर अधिक वसूली गई राशि को वापस नहीं करते हैं, तो उन पर अलग से आर्थिक दंड लगाया जाएगा। विशेष रूप से यदि स्कूल 20 दिनों के भीतर अतिरिक्त राशि लौटाने में असफल रहते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा, जो लगातार हर 20 दिनों की देरी पर बढ़ता जाएगा। 40 दिनों के बाद यह दोगुना हो जाएगा और उसके बाद हर बीस दिन की देरी पर जुर्माने की राशि और बढ़ेगी। इस प्रकार, सरकार फीस वापसी को भी समयबद्ध और सुनिश्चित बनाने पर बल दे रही है।

दिल्ली सरकार ने इस विधेयक में यह भी स्पष्ट किया है कि बार-बार नियम तोड़ने वाले स्कूलों के प्रबंधन और पदाधिकारी भविष्य में किसी अन्य स्कूल का संचालन नहीं कर पाएंगे। उनके अधिकार सीमित कर दिए जाएंगे और फीस संशोधन से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस प्रकार के कड़े प्रावधानों से सरकार यह संकेत देना चाहती है कि शिक्षा का व्यवसायीकरण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह एक प्रकार की प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने की पहल है।

दिल्ली सरकार का यह कदम ऐसे समय आया है जब राजधानी में लगातार निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाने की शिकायतें बढ़ती जा रही थीं। अभिभावक संगठनों ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल रहा था। अब यह विधेयक अभिभावकों की चिंताओं का जवाब है और शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता की दिशा में मजबूत कदम माना जा रहा है। इससे उन स्कूलों पर भी लगाम लगेगी जो मनमाने ढंग से सुविधाओं के नाम पर वसूली करते रहे हैं।

इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा स्पष्ट है – शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन और जवाबदेही लाना। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने स्पष्ट किया है कि सरकार जनता की मांगों को सुनकर ही यह विधेयक लाई है। अब यदि यह विधेयक विधानसभा से पारित होता है, तो दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आएगा। सरकार के पास यह अधिकार भी होगा कि वह जरूरत पड़ने पर किसी स्कूल की वित्तीय स्थिति की जांच कर सके और अत्यधिक शुल्क वसूली के मामलों में खुद हस्तक्षेप कर सके। कुल मिलाकर, यह विधेयक निजी स्कूलों की मनमानी पर सख्त लगाम लगाने की दिशा में निर्णायक पहल साबित हो सकता है।


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