नई दिल्ली (06 जुलाई 2025): 01 जुलाई 2015 को शुरू हुई डिजिटल इंडिया योजना ने अपने 10 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिये हैं। यह पहल सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि भारत के नागरिकों को सशक्त करने की एक ऐतिहासिक यात्रा रही है। इसने शासन, सेवाओं, वित्त और संचार में जो क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं, उसने भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बना दिया है।
डिजिटल संरचना के मोर्चे पर देश ने की उल्लेखनीय प्रगति
डिजिटल अवसंरचना के मोर्चे पर देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। 2014 की तुलना में 2025 तक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में 285% की बढ़ोतरी, 1,452% ब्रॉडबैंड कनेक्शन वृद्धि और 4.74 लाख 5G टावरों की स्थापना ने भारत को डेटा क्रांति की अगुवाई में ला खड़ा किया है। ग्रामीण भारत को जोड़ने के लिये भारतनेट परियोजना के अंतर्गत 2.18 लाख ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुँचा है और 6 लाख से अधिक गाँवों तक 4G पहुँच चुका है।
वित्तीय समावेशन सबसे बड़ी उपलब्धि
वित्तीय समावेशन भी डिजिटल इंडिया की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। UPI जैसे प्लेटफॉर्म ने न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है, जहाँ अप्रैल 2025 तक 24.77 लाख करोड़ रुपये के लेन-देन संपन्न हुए। आधार और DBT के माध्यम से करोड़ों फर्जी राशन कार्ड और डुप्लीकेट LPG कनेक्शन हटाए गए, जिससे पारदर्शिता को बल मिला।
ई- गवर्नेंस और नागरिक सेवाओं को बनाया सुलभ और पारदर्शी
ई-गवर्नेंस और नागरिक सेवाओं के क्षेत्र में UMANG, DigiLocker, MyGov और GeM जैसे प्लेटफॉर्मों ने सेवाओं को सरल, सुलभ और पारदर्शी बनाया है। Karmayogi Bharat और iGOT ने अधिकारियों के प्रशिक्षण में नया अध्याय जोड़ा है। भाषा समावेशन की दिशा में ‘भाषिनी’ ने 35 भाषाओं में सेवाओं को उपलब्ध कराकर डिजिटल दुनिया में क्षेत्रीय भाषाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है।
AI और सेमीकंडक्टर मिशन से उन्नत तकनीक की दिशा में अग्रसर
AI और सेमीकंडक्टर मिशन जैसे हालिया प्रयास भारत को उन्नत तकनीक की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। IndiaAI मिशन के तहत 34,000 से अधिक GPU तैनात किए गए हैं, जबकि सेमीकंडक्टर मिशन ने 1.55 लाख करोड़ रुपये की लागत से चिप और डिस्प्ले निर्माण में आत्मनिर्भरता की नींव रखी है।
क्या है प्रमुख चुनौतियां
हालाँकि, इस सफलता यात्रा के साथ कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं। डिजिटल डिवाइड अभी भी ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में असमानता को दर्शाता है, जहाँ केवल 37% ग्रामीण इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। साइबर सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरे बढ़े हैं – 2022 में 13.91 लाख साइबर घटनाएँ दर्ज हुईं, जबकि 8 लाख पेशेवरों की कमी महसूस की गई। डेटा गोपनीयता पर लागू हुआ DPDP अधिनियम 2023 अभी भी प्रभावी क्रियान्वयन और कंपनियों की जवाबदेही के स्तर पर चुनौतियों का सामना कर रहा है।
बुनियादी ढाँचा और ई-कचरा भी बड़े मुद्दे हैं। धीमी ब्रॉडबैंड स्पीड, 5G रोलआउट में देरी, और 2023-24 में बढ़कर 1.751 मीट्रिक टन हुआ ई-वेस्ट, भारत के डिजिटल विस्तार के दुष्परिणामों को रेखांकित करते हैं। CoWIN और Aadhaar जैसे सिस्टमों में स्केलेबिलिटी और पारदर्शिता की चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
चुनौतियों से निपटने के उपाय
इन चुनौतियों से निपटने के लिये कुछ ठोस उपाय ज़रूरी हैं, जैसे ग्रामीण डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, सस्ती डिवाइसेज और इंटरनेट, साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण, डेटा संरक्षण कार्यालयों की स्थापना, PMGDISHA का विस्तार, और हरित तकनीक को बढ़ावा देना। साथ ही, सभी डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफार्मों का एकीकरण सेवा वितरण को और सशक्त बना सकता है।
निष्कर्षतः, डिजिटल इंडिया की 10 साल की यात्रा भारतीय समाज और शासन प्रणाली में बदलाव की मिसाल बन चुकी है। यह पहल न केवल तकनीकी बदलाव का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के भविष्य की नींव भी है। यदि मौजूदा कमज़ोरियों पर रणनीतिक रूप से कार्य किया जाए, तो यह पहल विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में एक मज़बूत स्तंभ बन सकती है।।
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