दिल्ली में पहली बार कृत्रिम बारिश से होगा प्रदूषण पर वार – बड़ा एक्शन प्लान तैयार
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (29 जून 2025): दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। 4 से 11 जुलाई के बीच पहली बार क्लाउड सीडिंग तकनीक के ज़रिए कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। यह प्रयोग IIT कानपुर और IMD पुणे के सहयोग से होगा, जिसे पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शनिवार को सार्वजनिक किया। योजना को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की अनुमति का इंतजार है, और मौसम की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक तिथियों की भी योजना बनाई गई है। यह पहल दिल्लीवासियों को सांस लेने के लिए साफ हवा उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।
सिरसा ने कहा कि 3 जुलाई तक मौसम क्लाउड सीडिंग के लिए अनुकूल नहीं है, लेकिन 4 से 11 जुलाई के बीच उपयुक्त स्थितियां मिलने की संभावना है। इस दौरान उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली के हवाई क्षेत्रों में कम से कम 5 उड़ानें संचालित की जाएंगी। ये उड़ानें लगभग 90 मिनट तक चलेंगी और प्रत्येक उड़ान में लगभग 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। क्लाउड सीडिंग के लिए खास मिश्रण का प्रयोग किया जाएगा जिसमें सिल्वर आयोडाइड नैनोकण, आयोडीन युक्त नमक और सेंधा नमक का इस्तेमाल होगा। ये मिश्रण नमी युक्त बादलों में कृत्रिम रूप से बारिश लाने में सहायक होते हैं।
सरकार का कहना है कि यह कदम न केवल प्रदूषण नियंत्रण का हिस्सा है बल्कि भविष्य की आपात पर्यावरणीय स्थितियों से निपटने के लिए एक मॉडल भी हो सकता है। इस तकनीक से धूल और जहरीले कणों को हवा से नीचे गिराकर वायुमंडल को साफ करने का प्रयास होगा। लंबे समय से दिल्ली की हवा प्रदूषण के चलते ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है, जिससे लोगों को सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा है। रेखा गुप्ता सरकार की इस पहल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संस्थाओं की भी निगाहें मिली हैं।
आईआईटी कानपुर और आईएमडी पुणे की टीमों ने बताया है कि क्लाउड सीडिंग का यह फॉर्मूला पहले भी कुछ अन्य शहरों में सफल रहा है। प्रयोग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों की मात्रा और वितरण विशेष तकनीकी विधियों से नियंत्रित किया जाएगा ताकि किसी प्रकार का पर्यावरणीय दुष्प्रभाव न हो। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रयास सफल रहता है, तो दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए यह एक स्थायी समाधान बन सकता है। वहीं, यह तकनीक भविष्य में जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों के लिए भी वरदान साबित हो सकती है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस पूरे अभियान को “जन-स्वास्थ्य के लिए युद्ध स्तर की कार्रवाई” बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के खिलाफ यह लड़ाई सिर्फ नियमों से नहीं जीती जा सकती, इसके लिए नवाचार और विज्ञान का सहारा लेना ज़रूरी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि क्लाउड सीडिंग की निगरानी और विश्लेषण के लिए रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जाए। दिल्ली सरकार की इस ऐतिहासिक पहल को आने वाले वर्षों में पर्यावरणीय नीति का बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
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