गरीब छात्रों की सहायता के लिए आगे आए यूपी के विश्वविद्यालय : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल | 99th AIU AGM

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नोएडा, (24 जून 2025): उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा में आयोजित भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) की 99वीं वार्षिक बैठक एवं कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन 2024-25 के समापन सत्र को संबोधित किया। अपने संवेदनशील, विचारोत्तेजक और व्यापक सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाते हुए उन्होंने उच्च शिक्षा जगत से समाज के हाशिए पर खड़े लोगों तक पहुंचने की अपील की।

राज्यपाल ने कहा— “विश्व भर में कई यूनिवर्सिटी हैं, भारत में भी कई यूनिवर्सिटी हैं। नई यूनिवर्सिटी बन भी रही हैं। यूनिवर्सिटी अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा भी काम कर रही हैं। लेकिन मैंने यह देखा है कि समाज के लिए और विविध प्रकार की जो योजनाएं केंद्र और राज्य सरकारों की हैं… क्या उसका लाभ प्रजा को, महिलाओं को, किसानों को, गरीबों को मिलता है? यदि मिलता है, तो उसका कुछ फल प्राप्त हुआ है या परेशानियां कम हुई हैं? क्या विचारों में परिवर्तन आया है?

ऐसी कई समस्याएं हैं हमारे देश में। क्या हमने उस पर कोई स्टडी की है या कोई रिपोर्ट तैयार की है? क्या आपने वह रिपोर्ट सरकारों को दी है? या सरकार को कोई सुझाव भेजा है जिससे परिवर्तन आ सके?

हायर एजुकेशन नाम सुनने में बहुत अच्छा लगता है। लेकिन क्या हायर एजुकेशन वालों ने प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन में बदलाव के लिए कोई प्रयास किया है?

सरकार की योजनाएं क्या जनता तक पहुंच रही हैं या नहीं? आज हम भागदौड़ भरी ज़िंदगी में बच्चों के साथ नहीं बैठते। यूनिवर्सिटीज को बच्चों की समस्याएं जाननी चाहिए। आज भी गांव में कितने होनहार बच्चे हैं जो नहीं पढ़ पाते। हमें देखना होगा कि हायर एजुकेशन में ड्रॉप आउट रेट कितना है।

महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए सभी विभागों में उनकी भागीदारी होनी चाहिए। भारत सरकार ने ‘जीरो पॉवर्टी’ योजना शुरू की है, एक भी परिवार गरीब नहीं रहना चाहिए।

हर यूनिवर्सिटी को कम से कम एक गरीब परिवार को गोद लेकर उन्हें गरीबी से बाहर निकालने का दायित्व लेना चाहिए। पैसे नहीं देना है, उनके लिए यदि आवास नहीं है तो डीएम के पास जाकर दिलवाना है, गैस कनेक्शन नहीं है तो एलपीजी सिलेंडर लगवाना है।

अनुसूचित जाति की जो सीटें खाली रह जाती हैं, वह क्यों नहीं भरतीं? हमें समाज में जाकर कारण जानना चाहिए और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करना चाहिए। योग दिवस के मौके पर 21 दिन तक योग हुआ, लेकिन हमें लक्ष्य तय करना चाहिए कि कम से कम 10-15% बच्चों को योग से जोड़ा जाए।

आज अधिकांश IAS समाजशास्त्र लेकर पास होते हैं, हमें कोर्स की विविधता बढ़ानी होगी।

हमें यह भी देखना है कि बच्चों को क्या दिक्कत है। आज की खबरों में कहीं पति पत्नी को मार रहा है, कोई नदी में फेंक रहा है, और उस पर reels बन रही हैं, यह सोचने का विषय है।

बेटियों को सही उम्र में सही शिक्षा और मार्गदर्शन देना जरूरी है। यह बातें पाठ्यपुस्तकों में नहीं आतीं, इसलिए विद्यार्थी दिशाहीन हो जाते हैं। हमें बच्चों को व्यस्त रखना है, उन्हें विभिन्न प्रकार के कार्य सिखाने हैं।”

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के इस गहन वक्तव्य ने न केवल शिक्षाविदों को सोचने पर मजबूर किया, बल्कि उच्च शिक्षा की सामाजिक जिम्मेदारियों को नई दिशा भी दी। AIU सम्मेलन का यह समापन सत्र समाज और शिक्षा के बीच की दूरी को पाटने की एक गंभीर और प्रेरणादायी पहल बन गया।


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