नई दिल्ली (11 जून 2025): दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। वर्ष 2021 में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू किया गया दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (DBSE) अब बंद होने की कगार पर है। शिक्षा निदेशालय के सूत्रों के अनुसार, DBSE से संबद्ध स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस (SOSE) को अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अंतर्गत लाया जाएगा। इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने वाले छात्रों का पंजीकरण CBSE के माध्यम से किया जाएगा। यानी, DBSE के तहत पढ़ने वाले छात्र अब CBSE बोर्ड के छात्र माने जाएंगे और DBSE का अस्तित्व जल्द समाप्त हो सकता है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने DBSE की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसे नियमों के विरुद्ध गठित बोर्ड बताया। उन्होंने कहा कि जब पहले से ही दिल्ली के अधिकांश सरकारी और निजी स्कूल CBSE से संबद्ध हैं, तो एक नया बोर्ड बनाने की आवश्यकता ही नहीं थी। साथ ही, उन्होंने DBSE द्वारा जारी प्रमाणपत्रों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता न होने की बात कहते हुए इसे छात्रों के भविष्य के लिए बाधक करार दिया।
गौरतलब है कि DBSE की स्थापना का उद्देश्य एक वैकल्पिक और व्यावसायिक शिक्षा मॉडल तैयार करना था। इसके अंतर्गत पहले से संचालित प्रतिभा विकास विद्यालयों को ‘डॉ. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस’ में बदला गया और 31 स्कूल DBSE से जोड़े गए थे। इसके अलावा, 11 स्कूल ऑफ एप्लाइड लर्निंग को भी इसमें शामिल किया गया था। योजना थी कि विशेषीकृत शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत छात्रों को तकनीकी, वैज्ञानिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
हालांकि, DBSE के संचालन पर अब कानूनी और मान्यता से जुड़े मुद्दों के चलते विराम लगाया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी राज्य बोर्ड को वैधता प्रदान करने के लिए राज्य कैबिनेट की स्वीकृति, केंद्र सरकार से मान्यता तथा काउंसिल ऑफ बोर्ड्स ऑफ स्कूल एजुकेशन (COBSE) की सदस्यता अनिवार्य होती है, लेकिन DBSE इन शर्तों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाया। यही कारण है कि इसकी वैधता पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं।
शिक्षा निदेशालय ने अब DBSE से संबद्ध सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे CBSE के पाठ्यक्रम के अनुरूप आगामी कक्षाओं में दाखिला प्रक्रिया संचालित करें। DBSE की 10वीं और 12वीं की मौजूदा कक्षाएं इस बोर्ड की अंतिम बैच होंगी। इसके बाद सभी स्कूल पूर्णतः CBSE के अधीन कार्य करेंगे।
इस घटनाक्रम ने शिक्षा जगत में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। जहां DBSE को एक नवाचार के तौर पर देखा गया था, वहीं इसकी वैधता और उपयोगिता पर भी समय-समय पर सवाल खड़े हुए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि CBSE के अंतर्गत आने के बाद SOSE स्कूल अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रख पाते हैं या नहीं। लेकिन इतना निश्चित है कि दिल्ली की एक महत्वाकांक्षी शैक्षणिक पहल अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है।
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