सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 10 दिन में पेश करनी होगी ठोस कार्ययोजना

टेन न्यूज़ नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (18 दिसंबर 2024): सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) को घर खरीदारों की समस्याओं के समाधान के लिए 10 दिनों के भीतर ठोस कार्ययोजना पेश करने का कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि प्राधिकरण समय पर कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने प्राधिकरण के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने डेवलपर्स को अनियमितताओं की छूट देकर खरीदारों को संकट में डालने में अहम भूमिका निभाई है।

प्राधिकरण की जिम्मेदारी पर सवाल

मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “यह सच है कि डेवलपर्स ने खरीदारों से धन एकत्र किया, लेकिन इससे आपकी जिम्मेदारियों से मुक्ति नहीं मिल सकती। आपने इस संकट को जन्म दिया है, और अब आपको ही इसे सुलझाना होगा।” कोर्ट ने सुझाव दिया कि प्राधिकरण विवादित भूखंडों का अधिग्रहण करे, परियोजनाओं को खुद पूरा करे और खरीदारों को समय पर उनके फ्लैट सौंपे।

सीबीआई जांच की चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि 10 दिनों के भीतर समाधानकारी योजना प्रस्तुत नहीं की गई, तो सीबीआई जांच का आदेश दिया जा सकता है। पीठ ने कहा, “मकान खरीदारों के हितों की रक्षा करना आपकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। आप मूक दर्शक बने नहीं रह सकते। आपकी निष्क्रियता खरीदारों के साथ अन्याय है।”

विस्तृत हलफनामा पेश करने का निर्देश

कोर्ट ने प्राधिकरण को जमीन आवंटन की तारीख, निजी डेवलपर के साथ लीज डीड की स्थिति और अब तक की प्रगति का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही, हलफनामे में खरीदारों के लिए प्रस्तावित समाधान का स्पष्ट विवरण होना चाहिए।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें दिवालिया रियल एस्टेट कंपनी अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की दिवाला प्रक्रिया के तहत अल्फा कॉर्प डेवलपमेंट की बोली को मंजूरी दी गई थी। इस कानूनी विवाद के चलते ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम की पांच आवासीय परियोजनाओं का काम रुका हुआ है, जिससे सैकड़ों मकान खरीदार प्रभावित हो रहे हैं।

खरीदारों की दुर्दशा पर अदालत की चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने खरीदारों की कठिनाइयों को गंभीरता से लेते हुए प्राधिकरण को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहता है, तो सख्त कार्रवाई अनिवार्य होगी।

न्यायालय की सख्ती पर निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह रुख ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और अन्य संबंधित प्राधिकरणों के लिए एक चेतावनी है कि वे घर खरीदारों के अधिकारों की अनदेखी नहीं कर सकते। 10 दिनों के भीतर समाधान प्रस्तुत करना प्राधिकरण के लिए न केवल आवश्यक है, बल्कि उनके रवैये में बदलाव का संकेत भी हो सकता है।।

 


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