दिल्ली MCD से फर्जी मेल के जरिए 74.90 लाख की ठगी, मेडिकल कंपनी के पूर्व कर्मचारी पर आरोप
टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (8 जून 2025): दिल्ली नगर निगम (MCD) से लगभग 74 लाख 90 हजार रुपये की धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक पूर्व मेडिकल कर्मचारी पर फर्जी मेल के जरिए राशि अपने निजी खाते में ट्रांसफर कराने का गंभीर आरोप लगा है। यह धोखाधड़ी तब उजागर हुई जब भुगतान न मिलने पर मेडिकल कंपनी ने एमसीडी से संपर्क किया। एमसीडी ने जानकारी दी कि संबंधित बिल का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, जिससे कंपनी के होश उड़ गए।
मेट्रो ग्रुप हॉस्पिटल ने दर्ज कराई शिकायत
यह शिकायत नोएडा के सेक्टर-24 थाने में मेट्रो ग्रुप हॉस्पिटल एंड मेडिकल सर्विसेज की ओर से दर्ज कराई गई है। शिकायतकर्ता अस्पताल के रिकवरी हेड गोविंद शर्मा हैं, जिन्होंने गाजियाबाद के वसुंधरा निवासी वैभव कुमार, जो अस्पताल का पूर्व कर्मचारी था, पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
केशलैस इलाज के बाद हुआ था बिल का भुगतान
अस्पताल की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, दिल्ली एमसीडी के कर्मचारियों का केशलैस इलाज अस्पताल की कैंसर यूनिट में किया गया था। निर्धारित प्रक्रिया के तहत इलाज के बाद बिल तैयार कर एमसीडी को भुगतान के लिए भेजा गया था। अस्पताल का दावा है कि करीब 74 लाख 90 हजार 866 रुपये की रकम की मंजूरी मार्च 2025 में दी गई थी, लेकिन जब उनके प्रतिनिधि एमसीडी दफ्तर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उक्त भुगतान पहले ही किया जा चुका है।
फर्जी मेल और खाता बदलने की साजिश
जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि यह राशि मेट्रो हॉस्पिटल के अधिकृत बैंक खाते में न जाकर, एक अन्य यस बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई थी, जिसका कंपनी से कोई लेना-देना नहीं था। एमसीडी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जनवरी 2025 में वैभव कुमार ने अस्पताल की अधिकृत मेल आईडी का इस्तेमाल कर एक मेल भेजा था, जिसमें बताया गया था कि कंपनी का पुराना बैंक खाता तकनीकी कारणों से बंद हो गया है और नया खाता नंबर साझा किया गया। एमसीडी ने मेल को कंपनी का आधिकारिक संचार मानते हुए बिना किसी अतिरिक्त सत्यापन के उसी नए खाते में रकम ट्रांसफर कर दी।
फरार आरोपी की तलाश जारी
रकम ट्रांसफर होने के कुछ ही दिनों बाद वैभव कुमार अचानक नौकरी छोड़कर गायब हो गया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।एडीसीपी नोएडा सुमित शुक्ला ने बताया कि शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और आरोपी की तलाश के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है।
पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं इस धोखाधड़ी में कोई आंतरिक या बाहरी साजिशकर्ता तो शामिल नहीं है। यह मामला न सिर्फ साइबर सुरक्षा में लापरवाही की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक कर्मचारी की अंदरूनी जानकारी का दुरुपयोग करके लाखों रुपये की ठगी को अंजाम दिया जा सकता है।।
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