दिल्ली हाईकोर्ट ने गुर्जर रेजिमेंट गठन की याचिका को बताया ‘विभाजनकारी’, सुनवाई से इनकार

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (28 मई 2025): भारतीय सेना में ‘गुर्जर रेजिमेंट’ के गठन की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस तरह की याचिकाएं देश को समुदायों के आधार पर विभाजित करने वाली होती हैं और ऐसी याचिकाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई और मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया।

यह याचिका रोहन बसोया नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि गुर्जर समुदाय की गौरवशाली सैन्य परंपराओं के बावजूद उन्हें आज तक एक अलग रेजिमेंट के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। याचिका में सिख, जाट, राजपूत, डोगरा और गोरखा जैसी पहले से मौजूद जातीय रेजिमेंट्स का हवाला देते हुए गुर्जरों को भी समान दर्जा देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि इससे न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता का अधिकार सुरक्षित रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी।

हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि क्या उन्हें पता है कि कोर्ट किस आधार पर ‘परमादेश’ (Mandamus) जारी करता है? क्या उनके पास कोई वैधानिक अधिकार या ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान है, जिसके तहत वे ऐसी मांग कर रहे हैं? कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि इस तरह की याचिकाओं को दाखिल करने से पहले पर्याप्त रिसर्च और कानूनी अध्ययन किया जाना चाहिए, न कि केवल भावनात्मक आधार पर न्यायपालिका को ऐसे मामलों में खींचा जाए।

सुनवाई के दौरान जब कोर्ट की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया कि इस याचिका पर कोई सकारात्मक आदेश नहीं दिया जा सकता, तो याचिकाकर्ता ने खुद ही याचिका को वापस ले लिया। हाईकोर्ट की इस सख्त प्रतिक्रिया को कई कानूनी विशेषज्ञों ने एक महत्वपूर्ण संदेश बताया है कि सेना जैसी संस्थाओं को जातीय आधार पर विभाजित करने की किसी भी कोशिश को न्यायपालिका समर्थन नहीं देगी।

दिल्ली हाईकोर्ट का यह रुख एक बार फिर इस तथ्य को रेखांकित करता है कि भारतीय सेना की एकता, अखंडता और संरचना को बनाए रखना सर्वोपरि है और उसमें जातीय या सामुदायिक विभाजन की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में ऐसी किसी और याचिका को हतोत्साहित करने का कार्य करेगा।।


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