ग्रेटर नोएडा में 29 मई को किसानों की महापंचायत: प्रशासन की वादाखिलाफी से किसानों में आक्रोश

टेन न्यूज़ नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा, (28 मई 2025): ग्रेटर नोएडा के कलेक्ट्रेट परिसर में 29 मई को किसानों की समस्याओं के स्थायी समाधान की माँग को लेकर किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में 10% आबादी प्लाट के आवंटन, सर्किल रेट में 11 वर्षों से लंबित बढ़ोतरी, आबादियों के निस्तारण, भूमिहीन परिवारों को वेंडिंग ज़ोन में दुकानें देने और एनटीपीसी से प्रभावित किसानों के पुनर्वास जैसे मुद्दों पर निर्णायक संघर्ष की रणनीति तय की जाएगी।

किसान नेताओं का कहना है कि दिसंबर-जनवरी में हुए आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी, जिसे किसानों की समस्याओं का समाधान कर निर्णय लागू करना था। लेकिन अब तक इस समिति द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। मुख्यमंत्री द्वारा तय समयसीमा भी बीत चुकी है, जिससे किसानों में भारी असंतोष व्याप्त है।

किसान संघर्ष मोर्चा के नेता सुखबीर खलीफा ने कहा कि आंदोलन के दौरान पुलिस कमिश्नर ने किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का वादा किया था, लेकिन आज तक एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया गया है। वहीं, किसान एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संघर्ष मोर्चा के प्रमुख नेता सोरन प्रधान ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी बार-बार झूठे आश्वासन देते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई समाधान नहीं होता, जिससे किसानों का धैर्य अब जवाब दे रहा है।

अखिल भारतीय किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ. रूपेश वर्मा ने प्रशासन की निष्क्रियता पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन केवल निवेशकों की चिंता करता है, जबकि किसानों की समस्याएं अनसुनी कर दी जाती हैं। सर्किल रेट में पिछले 11 वर्षों से कोई वृद्धि नहीं की गई है, जिससे किसानों को उनका वाजिब मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ज़मीनों की लूट और भ्रष्टाचार ने हालात और भी बदतर कर दिए हैं।

किसान संघर्ष मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि 29 मई की महापंचायत केवल एक सभा नहीं, बल्कि आंदोलन के अगले निर्णायक चरण की शुरुआत होगी। विशेष रूप से 10% आबादी प्लाट की माँग से जुड़े ढाई लाख से अधिक किसान, जो वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, अब आर-पार की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं। महापंचायत में आगे की रणनीति और संभावित आंदोलन के अगले चरण की घोषणा भी की जाएगी।

इस महापंचायत को किसानों की ‘फैसले की घड़ी’ के रूप में देखा जा रहा है, जो सरकार और प्रशासन को उनकी अनदेखी की कीमत चुकाने के लिए मजबूर कर सकती है।।


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