हरकेश नगर में अतिक्रमण के खिलाफ MCD की बड़ी कार्रवाई , 100 से अधिक दुकानों पर चला बुलडोजर

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (28 मई 2025): दिल्ली के तुगलकाबाद विधानसभा क्षेत्र स्थित हरकेश नगर में मंगलवार को नगर निगम (MCD) की ओर से चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान ने सैकड़ों दुकानदारों को तबाह कर दिया। एमसीडी के बुलडोजर ने इलाके में 100 से ज्यादा दुकानों और झुग्गियों को ढहा दिया। इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों में भारी रोष है। दुकानदारों का कहना है कि उनके पास वैध लाइसेंस और वेंडिंग सर्टिफिकेट होने के बावजूद बिना किसी पूर्व नोटिस के उनकी दुकानें तोड़ दी गईं। एमसीडी की इस सख्ती ने कई परिवारों की रोजी-रोटी छीन ली। 40 वर्षों से दुकान चला रहे दीपक ने बताया कि उन्हें न तो कोई नोटिस मिला, न ही सामान हटाने का समय दिया गया। उन्होंने कहा, “हमने आधे घंटे का वक्त मांगा, लेकिन बुलडोजर सीधे दुकान पर चला दिया गया। हमारा सामान, फ्रिज, सब कुछ बर्बाद कर दिया गया।” दीपक की तरह कई दुकानदारों ने यही शिकायत की कि उन्हें खुद को बचाने का भी मौका नहीं मिला। मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी भी तैनात थे ताकि विरोध न हो सके।

स्थानीय दुकानदार मिंटू गुप्ता ने एमसीडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या यही कानून का राज है? हमें पांच मिनट तक नहीं दिए गए, कोई नोटिस नहीं मिला।” उन्होंने कहा कि एमसीडी को अगर अतिक्रमण हटाना ही था, तो पहले सूचना दी जाती या फिर पुनर्वास की कोई योजना सामने लाई जाती। दुकानदारों ने एमसीडी पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कार्रवाई गरीबों को मिटाने की साजिश जैसी लगती है। 1986 से दुकान चला रहे श्याम सुंदर ने कहा कि उनके पास वैध लाइसेंस था, फिर भी दुकान को ध्वस्त कर दिया गया। “हमने लोन लेकर दुकान चलाई थी, अब न दुकान रही न सामान। एमसीडी ने ही लाइसेंस दिया और अब वही हमें अवैध बता रहे हैं,” उन्होंने कहा। संजय गुप्ता जैसे अन्य दुकानदारों ने भी बताया कि वे वर्षों से वहीं व्यापार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उजाड़ दिया गया। अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

दिल्ली नगर निगम की इस कार्रवाई को लेकर अब राजनीतिक गर्मी भी बढ़ रही है। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘जनविरोधी’ और ‘निर्दयी कदम’ बताया है। दुकानदारों का कहना है कि यदि यह कार्रवाई वैध थी, तो फिर उन्हें लाइसेंस क्यों दिए गए? एमसीडी की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या ये कार्रवाई कानून के अनुसार थी या गरीबों को बेदखल करने की एक और मिसाल?।।


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