ओखला लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ क्यों नहीं हो रहे कम? मंत्री सिरसा ने किया दौरा
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (15 मई 2025): दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को राजधानी की सबसे पुरानी और बदनाम ओखला लैंडफिल साइट का दौरा किया। उनके साथ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर राजा इकबाल सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब दिल्ली में तीन प्रमुख लैंडफिल साइटों गाजीपुर, भलस्वा और ओखला पर कूड़े के अंबार लगातार बढ़ते जा रहे हैं और वर्षों की कवायद के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो सका है।
मंत्री सिरसा का दौरा मुख्य रूप से ओखला लैंडफिल साइट पर कूड़ा प्रबंधन से जुड़ी परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने के लिए था। उन्होंने अधिकारियों से इस बात पर विस्तृत चर्चा की कि अब तक किए गए प्रयासों के बावजूद कूड़े के पहाड़ क्यों नहीं हट पा रहे हैं। पर्यावरण मंत्री ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि कूड़ा हटाने के काम में और तेज़ी लाई जाए और हर सप्ताह प्रगति रिपोर्ट सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि यह केवल एक स्वच्छता या पर्यावरण का मुद्दा नहीं है, बल्कि दिल्ली के लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य और सम्मान का सवाल है।
दिल्ली में प्रतिदिन निकलने वाले 10 से 12 हज़ार मीट्रिक टन कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी एमसीडी की है। इस कूड़े में से लगभग 32% जैविक अपशिष्ट होता है, जिससे खाद बनाई जा सकती है, जबकि बाकी हिस्सा रिसाइक्लिंग योग्य कागज, प्लास्टिक, धातु और भवन निर्माण सामग्री से जुड़ा होता है। इसके बावजूद ओखला जैसे लैंडफिल साइटों पर हर दिन तीन हज़ार मीट्रिक टन से अधिक कचरा डाला जा रहा है। वर्ष 2008 में यहां कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाया गया था, लेकिन वह संयंत्र आज भी आधे कूड़े का भी निस्तारण नहीं कर पा रहा।
दिल्ली में लैंडफिल साइटों से निकलने वाली जहरीली गैसें और दुर्गंध पास के रिहायशी इलाकों को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। इस समस्या को हल करने के लिए एमसीडी ने पहले एक योजना तैयार की थी, जिसके तहत भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइटों के चारों ओर घने पेड़-पौधे लगाने थे, ताकि वे कार्बन डाईऑक्साइड, मिथेन और क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित कर सकें। लेकिन एमसीडी के उद्यान और इंजीनियरिंग विभागों के बीच तालमेल की कमी के कारण यह पौधारोपण अभियान आधा भी पूरा नहीं हो पाया। दिल्ली में कूड़े के प्रबंधन के लिए नागपुर, बंगलुरू और अहमदाबाद जैसे शहरों की कार्यप्रणालियों का अध्ययन करने के लिए एमसीडी अधिकारियों की कई टीमें दौरे पर भेजी गई थीं। लेकिन आधुनिक तकनीकों को दिल्ली में लागू करने के मामले में सुस्ती और निर्णय न ले पाने की आदत के कारण कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी। वर्ष 2022 में एमसीडी की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले कूड़े के पहाड़ को हटाना अपना मुख्य एजेंडा बताया था, लेकिन अब तक कोई बड़ा बदलाव जमीन पर नजर नहीं आया है।
मंत्री सिरसा के दौरे के बाद उम्मीद है कि ओखला लैंडफिल साइट की स्थिति में कुछ सुधार हो सकेगा। हालांकि, स्थायी समाधान के लिए एमसीडी, दिल्ली सरकार और नागरिकों सभी को मिलकर काम करना होगा। वरना कूड़े के इन पहाड़ों का बोझ न केवल दिल्ली की ज़मीन बल्कि उसके भविष्य पर भी भारी पड़ेगा।
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