नई दिल्ली (07 मई 2025): भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ एक सटीक और साहसिक कदम उठाते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के नेतृत्व में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 6 और 7 मई 2025 की रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच अंजाम दिया गया। इसका उद्देश्य 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मासूम पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाना था। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिसका जवाब भारतीय सेना ने कड़े एक्शन के साथ दिया।
इस कार्रवाई के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने कुल नौ आतंकी कैंपों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और पूरी तरह से नष्ट कर दिया। इन कैंपों में आतंकियों की भर्ती, ब्रेनवॉशिंग, ट्रेनिंग और लॉन्चिंग की व्यवस्था थी। इन केंद्रों का नेटवर्क पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में फैला हुआ था। सेना ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य आतंकवादी नेटवर्क की रीढ़ को तोड़ना और भविष्य के खतरों को जड़ से समाप्त करना था। कर्नल कुरैशी ने बताया कि ऑपरेशन की योजना बेहद गुप्त और सटीक इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर बनाई गई थी। हर टारगेट की पहचान विश्वसनीय सूचनाओं पर की गई ताकि आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह न मिल सके। खास बात यह रही कि पूरी कार्रवाई में यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी निर्दोष नागरिक या नागरिक प्रतिष्ठान को कोई नुकसान न पहुंचे। इससे यह साफ होता है कि भारतीय सेना की कार्रवाई आतंकियों के खिलाफ थी, आम लोगों के नहीं।
PoJK में जिन ठिकानों को तबाह किया गया उनमें सबसे प्रमुख था सवाई नाल कैंप, जो मुजफ्फराबाद के पास स्थित था। यह लश्कर-ए-तैयबा का एक बड़ा ट्रेनिंग सेंटर था, जहां सोनमर्ग (20 अक्टूबर 2024), गुलमर्ग (24 अक्टूबर 2024) और पहलगाम (22 अप्रैल 2025) हमलों के आतंकी प्रशिक्षित हुए थे। इसके अलावा मुजफ्फराबाद के पास जैश-ए-मोहम्मद का एक स्टेजिंग एरिया भी ध्वस्त किया गया, जो हथियारों और विस्फोटकों की ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होता था। कोटली क्षेत्र के गुलपुर और अब्बास कैंप भी इस ऑपरेशन के निशाने पर थे। गुलपुर लश्कर का बेस था, जहां से राजौरी और तीर्थ यात्रा मार्गों पर हमलों की साजिशें रची जाती थीं। अब्बास कैंप लश्कर का ही ट्रेनिंग सेंटर था, जिसकी क्षमता एक समय में 15 आतंकियों को ट्रेनिंग देने की थी। इन दोनों ठिकानों को भी सेना ने पूरी तरह से खत्म कर दिया, जिससे आतंकियों का एक बड़ा नेटवर्क ढह गया।
पाकिस्तान के भीतर स्थित सियालकोट क्षेत्र भी ऑपरेशन सिंदूर की रडार पर था। यहां स्थित एक कैंप से उन आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी जिन्होंने मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के चार जवानों की हत्या की थी। वहीं सियालकोट के ही महमूद जय कैंप को भी सेना ने निशाना बनाया। यह हिज्बुल मुजाहिदीन का बड़ा ट्रेनिंग सेंटर था, जहां से जम्मू-कठुआ क्षेत्र में आतंक फैलाने की योजनाएं बनाई जाती थीं। यह वही जगह है जहां से पठानकोट एयरबेस पर हमले की योजना बनाई गई थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन के जरिए भारतीय सेना ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया है कि आतंक की धरती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय मरकज़ सुब्हान अल्लाह को अभी निशाना नहीं बनाया गया है, लेकिन इसे भी पूरी तरह से ट्रैक किया जा रहा है। यह मुख्यालय अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और लंबे समय से आतंकियों की भर्ती व ब्रेनवॉशिंग का केंद्र बना हुआ है।
ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की ओर से आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक संदेश है कि भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि आतंकी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकने में सक्षम भी है। यह कार्रवाई आने वाले समय में आतंकियों और उनके आकाओं के लिए एक सख्त चेतावनी साबित होगी। क्या भारत इस रणनीति को आगे और विस्तार देगा, यह आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल सेना के इस साहसी कदम की व्यापक सराहना हो रही है।
प्रिय पाठकों एवं दर्शकों, प्रतिदिन नई दिल्ली, दिल्ली सरकार, दिल्ली राजनीति, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र की ताजा एवं बड़ी खबरें पढ़ने के लिए hindi.tennews.in : हिंदी न्यूज पोर्टल को विजिट करते रहे एवं अपनी ई मेल सबमिट कर सब्सक्राइब भी करे। विडियो न्यूज़ देखने के लिए TEN NEWS NATIONAL यूट्यूब चैनल को भी ज़रूर सब्सक्राइब करे।
Discover more from टेन न्यूज हिंदी
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
टिप्पणियाँ बंद हैं।