राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों का वितरण, किन शख्सियतों को मिला सम्मान

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (29 अप्रैल 2025): नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक भव्य समारोह में देश के 71 विशिष्ट नागरिकों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। इस समारोह में भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य, उद्योगपति पवन गोयनका, जापानी कारोबारी ओसामु सुजुकी, गायक पंकज उधास (मरणोपरांत), और मूर्तिकार भीमाबाई जैसी हस्तियों को पद्म विभूषण व पद्म श्री से नवाजा गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहे। यह आयोजन देश के 76वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में घोषित 139 पुरस्कारों में से 71 को प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया था।

असाधारण योगदान देने वालों को मिली पहचान

इस समारोह की खास बात यह रही कि इसमें समाज के हर वर्ग से असाधारण कार्य करने वालों को मंच पर लाया गया। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश हरिलाल सोनी, जो व्हीलचेयर पर हैं, को भी राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। कन्नड़ लोक कला की अग्रणी कलाकार भीमाबाई को भी पद्म श्री से नवाजा गया, जिन्होंने अपने जीवन को पारंपरिक कला को जीवित रखने में समर्पित कर दिया। ओसामु सुजुकी, जिन्होंने भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में नई दिशा दी, को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। रेखा कपूर और अरविंद जैसे चेहरों को भी इस बार विशेष स्थान मिला। ये सम्मान देश में प्रेरणा और समर्पण की नई मिसाल बने हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया ‘सच्चे भारत का प्रतिबिंब’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह के बाद कहा कि यह सम्मान उन नागरिकों का है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की है। उन्होंने कहा कि इन व्यक्तित्वों का चयन सिर्फ लोकप्रियता के आधार पर नहीं, बल्कि उनके कार्यों की गहराई और प्रभाव को देखकर किया गया है। उन्होंने इसे ‘सच्चे भारत का प्रतिबिंब’ बताया। मोदी ने यह भी कहा कि यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को सेवा और समर्पण की प्रेरणा देगा। इन पुरस्कारों के पीछे एक मजबूत संदेश है कि सच्चा योगदान कभी नजरअंदाज नहीं होता। इससे समाज में सकारात्मक सोच और कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।

पद्म पुरस्कारों में विविधता और संतुलन

इस बार के पुरस्कारों में सामाजिक कार्य, चिकित्सा, विज्ञान, कला, व्यापार, शिक्षा और सार्वजनिक सेवा जैसे विविध क्षेत्रों से लोगों को चुना गया। 10 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 57 पद्म श्री पुरस्कार दिए गए। इनमें कई नाम ऐसे थे, जिन्होंने शांति से काम करते हुए जीवन भर समाज की सेवा की। उदाहरणस्वरूप, नागालैंड की महिला उद्यमी वाल्टिना नाइकू को उनके नवाचार और महिला सशक्तिकरण के लिए पद्म श्री मिला। ये पुरस्कार भारत के विविध और बहुरंगी समाज की सच्ची झलक पेश करते हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत सरकार अब ग्रामीण और स्थानीय नायकों को भी राष्ट्रीय मंच पर ला रही है।

मरणोपरांत सम्मान भी बना भावुक क्षण

समारोह का एक भावुक क्षण तब आया जब दिवंगत गायक पंकज उधास को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनकी बेटी ने यह पुरस्कार ग्रहण किया, और पूरे सभागार में तालियों की गूंज के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। यह क्षण न केवल एक कलाकार के योगदान की सराहना थी, बल्कि उन अनगिनत भावनाओं की भी जो उन्होंने अपने गीतों से लोगों तक पहुंचाई। पंकज उधास का नाम हर दिल में बसा है और यह सम्मान उनके अमर योगदान का प्रतीक बन गया। मरणोपरांत सम्मान ऐसे लोगों की याद दिलाता है जिन्होंने चुपचाप लेकिन असरदार योगदान दिए।

भारत की आत्मा को सम्मानित करता है यह आयोजन

पद्म पुरस्कार समारोह भारत की उस आत्मा को उजागर करता है जो गांव, शहर, पहाड़, समुद्र और जंगलों में बसती है। जिन लोगों ने समाज के लिए काम किया, पर कभी प्रचार नहीं किया अब उन्हें देश ने पहचाना है। राष्ट्रपति मुर्मू का यह आयोजन एक मजबूत संदेश देता है कि बदलाव के नायक हर गली-कूचे में मिल सकते हैं। यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं, बल्कि एक आह्वान है कि हर नागरिक देश के विकास में भागीदार बने। भारत की विविधता और सेवा-भावना को पद्म पुरस्कारों के माध्यम से सही मायने में सम्मान मिला है। यह आयोजन प्रेरणा का प्रतीक बनकर उभरा है।


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