नई दिल्ली (24 अप्रैल 2025): दिल्ली में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि 1 जुलाई 2025 से 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल नहीं दिया जाएगा। यह निर्णय राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए लिया गया है। सभी फ्यूल स्टेशनों को आदेश दिया गया है कि वे पुराने वाहनों की पहचान के लिए ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर) कैमरे 30 जून तक अनिवार्य रूप से लगाएं। इन कैमरों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रतिबंधित वाहन ईंधन न ले सकें। आदेश का पालन नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
BS-6 से नीचे के डीजल ट्रक और माल वाहनों की एंट्री पर भी रोक
CAQM ने 1 नवंबर 2025 से एक और सख्त कदम की घोषणा की है, जिसके तहत दिल्ली में BS-6 मानक से नीचे के सभी डीजल ट्रांसपोर्ट और कॉमर्शियल माल वाहनों की एंट्री पूरी तरह बैन कर दी जाएगी। यह प्रतिबंध उन वाहनों पर लागू होगा जो दिल्ली के बाहर पंजीकृत हैं लेकिन राजधानी में माल लाने-ले जाने का काम करते हैं। यह निर्णय दिल्ली की सीमाओं से प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या घटाने के उद्देश्य से लिया गया है। आयोग का मानना है कि पुराने डीजल वाहन वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं और इनके खिलाफ सख्त कदम जरूरी हैं।
NCR के पांच जिलों में भी लागू होंगे यही नियम
दिल्ली से सटे पांच प्रमुख NCR जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत में भी यही आदेश 1 नवंबर 2025 से लागू होंगे। इन जिलों में स्थित सभी फ्यूल स्टेशनों को 31 अक्टूबर 2025 तक ANPR कैमरे लगाने होंगे, ताकि पुराने वाहनों की पहचान की जा सके और उन्हें ईंधन देने से रोका जा सके। ये इलाके दिल्ली के साथ भारी ट्रैफिक लोड साझा करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण में इज़ाफा होता है। इस निर्णय से इन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
बाकी जिलों को मिला अतिरिक्त समय, 2026 से होगा लागू
CAQM ने NCR के बाकी जिलों को थोड़ी राहत देते हुए ANPR कैमरे लगाने के लिए 31 मार्च 2026 तक का समय दिया है। इन जिलों में फ्यूल बैन की यह नीति 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगी। आदेश में कहा गया है कि इन कैमरों को वाहन डाटाबेस से जोड़ा जाएगा ताकि बिना वैध प्रदूषण प्रमाणपत्र या ओवरएज वाहनों की पहचान की जा सके। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह कदम पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, और इसे हर हाल में सख्ती से लागू किया जाएगा।
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