JNUSU Election: जेएनयू छात्र संघ चुनाव स्थगित, हिंसा और तोड़फोड़ के बाद बड़ा फैसला
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (19 अप्रैल 2025): जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र संघ चुनाव को लेकर स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। नामांकन वापसी के दिन चुनाव समिति के कार्यालय में तोड़फोड़ और मारपीट की घटना के बाद चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है। चुनाव समिति ने एक नोटिस जारी कर कहा कि हालिया हिंसा और सुरक्षा में चूक के चलते चुनावी माहौल भयपूर्ण बन गया है। समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है और कहा है कि जब तक सभी सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। समिति ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद प्रशासन ने सुरक्षा मुहैया नहीं कराई। चुनाव समिति अब नई तारीखों पर निर्णय लेने से पहले हालात की समीक्षा करेगी। साथ ही चुनाव आयोग ने हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
नाम वापसी की समय सीमा को लेकर हुआ विवाद
चुनाव समिति के अनुसार, गुरुवार को नाम वापसी के समय सीमा को लेकर विवाद शुरू हुआ था। वामपंथी छात्र संगठनों ने समय बढ़ाने की मांग की थी क्योंकि वे समय पर नाम वापसी नहीं कर सके। समिति ने उनकी मांग पर आधे घंटे की मोहलत दी, जिस पर ABVP ने विरोध जताया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई और कुछ छात्रों ने समिति के दफ्तर में घुसकर तोड़फोड़ की। स्थिति को देखते हुए शाम पांच बजे जारी होने वाली प्रत्याशियों की अंतिम सूची को भी रोक दिया गया। इस घटना ने पूरे छात्र संघ चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। समिति ने कहा कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन सुरक्षा के बिना कार्य करना संभव नहीं।
वामपंथी दल ने रोक को ठहराया सही
घटना के बाद वामपंथी छात्र संगठनों ने चुनाव समिति के साथ एकजुटता जताई है। आइसा (AISA) ने बयान जारी कर कहा कि हम समिति की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और हिंसा की निंदा करते हैं। संगठन ने शाम सात बजे एक सभा आयोजित की, जिसमें चुनाव समिति के समर्थन में छात्र एकत्रित हुए। आइसा ने आरोप लगाया कि एबीवीपी हिंसा में लिप्त रही और चुनाव को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि छात्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लेकर गंभीर हैं और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं। वामपंथी संगठनों ने यह भी भरोसा दिलाया कि वे प्रशासन से मिलकर समिति की सुरक्षा सुनिश्चित कराएंगे। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को जल्द दोबारा शुरू करने की अपील की है।
ABVP ने निर्णय को बताया मनमाना
दूसरी ओर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने चुनाव प्रक्रिया को होल्ड करने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। एबीवीपी ने कहा कि यह एक पक्षपातपूर्ण निर्णय है, जो यूनाइटेड लेफ्ट के दबाव में लिया गया है। संगठन ने आरोप लगाया कि चुनाव समिति ने अंतिम तिथि के बाद भी नामांकन सूची में बदलाव किए, जो नियमों के खिलाफ है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताया और कहा कि यह एबीवीपी की लोकप्रियता से डरकर किया गया कृत्य है। एबीवीपी का कहना है कि छात्र जनादेश को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से समिति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है और चुनाव तत्काल बहाल करने की अपील की है।
जेएनयू चुनाव को लेकर उठे इस विवाद ने न केवल कैंपस बल्कि पूरे शैक्षणिक जगत में हलचल मचा दी है। छात्र समुदाय में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से जेएनयू की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचता है। कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी जताई है और शांति की अपील की है। इस मामले ने छात्र राजनीति में हिंसा और पक्षपात की बहस को एक बार फिर जिंदा कर दिया है।
फिलहाल जेएनयू चुनाव प्रक्रिया पर अनिश्चितता बनी हुई है और सभी की निगाहें प्रशासन और चुनाव समिति के अगले कदम पर टिकी हैं। छात्र संगठनों के बीच टकराव को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी बढ़ा दी गई है। चुनाव समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हिंसा करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, तब तक प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। छात्र समुदाय में भी इस बात की उम्मीद है कि शांतिपूर्ण माहौल बनाकर जल्द निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए यह परीक्षा की घड़ी है कि वह छात्र लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने में कितनी तत्परता दिखाता है।।
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