नई दिल्ली (19 अप्रैल 2025): यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार हो रहे अवैध खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सख्त रुख अपनाया है। ट्रिब्यूनल ने नॉर्थ दिल्ली के जिलाधिकारी (DM) को नोटिस जारी करते हुए 21 अप्रैल तक विस्तृत जवाब मांगा है। यह आदेश एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने 17 अप्रैल को पारित किया। सुनवाई के दौरान डीएम ने ट्रिब्यूनल को भरोसा दिलाया कि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर जवाब दाखिल करेंगे। मामला खुद एनजीटी द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर उठाया गया है। ट्रिब्यूनल ने अवैध खनन को पर्यावरणीय नियमों का गंभीर उल्लंघन बताया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई में जरूरी कदमों की घोषणा की जा सकती है।
अलीपुर और गाजियाबाद के पंचायरा के बीच यमुना के किनारे अवैध खनन का सिलसिला वर्षों से चल रहा है। रेत माफिया नदी में भारी मशीनों से खनन करते हैं और इसके लिए अस्थायी सड़कें बनाते हैं। ये सड़कें लकड़ी के तख्तों और पॉलीप्रोपाइलीन बैग से बनाई जाती हैं, जिससे मशीनों को अंदर ले जाना आसान हो जाता है। ये अवैध निर्माण हर मानसून में बह जाते हैं और अगले वर्ष दोबारा बना दिए जाते हैं। इस प्रक्रिया से यमुना की पारिस्थितिकी को भारी नुकसान पहुंचता है। नदी का बहाव बाधित होता है और तल की संरचना में भी परिवर्तन आता है। ट्रिब्यूनल ने इस प्रवृत्ति को गंभीर चिंता का विषय बताया है।
एनजीटी ने मामले की सुनवाई में कहा कि बाढ़ क्षेत्र में तीन मीटर से अधिक गहराई तक खनन करना कानूनन गलत है। इसके अलावा नदी के तल पर भारी मशीनों से खुदाई करने की अनुमति भी किसी नियम के तहत नहीं दी जाती। यमुना के किनारे हुए नुकसान से कटाव की स्थिति बढ़ गई है, जिससे भविष्य में बाढ़ और नदी मार्ग बदलने का खतरा है। पॉलीप्रोपाइलीन बैग से बनी सड़कें पारिस्थितिक असंतुलन को और बढ़ा रही हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा कि खनन पट्टेदारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नदी का फ्लो बाधित न हो और इकोसिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। मामले में गहराई से जांच की जरूरत बताई गई है।
एनजीटी ने इस पूरे मामले को वॉटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पल्यूशन) एक्ट, 1974 का उल्लंघन मानते हुए केंद्र और राज्य की कई एजेंसियों को नोटिस जारी किए हैं। इसमें दिल्ली और उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), और पर्यावरण मंत्रालय शामिल हैं। साथ ही गाजियाबाद और नॉर्थ दिल्ली के जिलाधिकारियों को भी नोटिस भेजे गए हैं। ट्रिब्यूनल ने पूछा है कि अब तक अवैध खनन को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई। यदि जवाब असंतोषजनक पाए गए तो NGT अगली सुनवाई में सख्त निर्देश जारी कर सकता है।।
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