दिल्ली विधानसभा को मिलेगा राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा, अतीत से वर्तमान तक का साक्षी
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (13 अप्रैल 2025): दिल्ली विधानसभा की ऐतिहासिक इमारत को अब एक नई पहचान मिलने वाली है। 113 साल पुरानी इस शानदार संरचना को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की दिशा में पहल तेज हो चुकी है। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इसके लिए आधिकारिक बैठकों की शुरुआत कर दी है। बीते शुक्रवार को उन्होंने संबंधित अफसरों के साथ एक अहम बैठक भी की। उनका कहना है कि वे जल्द ही इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत से मुलाकात करेंगे। इसके बाद यह प्रस्ताव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को भेजा जाएगा, जो इस दिशा में आगे की कार्रवाई करेगा। राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलने के बाद इस भवन में किसी तरह की संरचनात्मक छेड़छाड़ संभव नहीं होगी और इसके संरक्षण का कार्य और भी व्यवस्थित व प्रभावशाली तरीके से किया जा सकेगा।
दिल्ली विधानसभा भवन को न केवल एक प्रशासनिक केंद्र के रूप में देखा जाएगा, बल्कि यह आम जनता के लिए इतिहास की जीवंत झलक भी पेश करेगा। गुप्ता ने जानकारी दी कि भवन को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने के बाद इसे विशेष अवसरों जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या फिर सप्ताह में एक-दो दिन आम लोगों के लिए खोला जाएगा। लोगों को इसका भ्रमण करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे इसके ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला को नज़दीक से देख पाएंगे। वर्ष 2016 में जब भवन परिसर में एक सुरंग का पता चला था, तब वहां एक पुराने फांसी घर का भी पता चला, जिसने इस परिसर को और अधिक ऐतिहासिक बना दिया। यह भवन न केवल प्रशासन का केंद्र रहा है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कई यादों को भी समेटे हुए है।
इस भव्य इमारत की नींव 1911 में रखी गई थी और 1912 में इसे तैयार किया गया था। जब भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित किया गया, तो इसे केन्द्रीय विधानसभा के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसके स्थापत्य का श्रेय ब्रिटिश आर्किटेक्ट मॉन्टेग्यू थॉमस को जाता है। यह इमारत चंद्रावल गांव की ज़मीन पर बनी थी, और बदले में स्थानीय लोगों को किरोड़ीमल कॉलेज के पास जमीन दी गई थी। इस भवन की दीवारों में बीते एक सदी से भी अधिक का इतिहास सांसें ले रहा है।
विधानसभा परिसर को केवल धरोहर ही नहीं बल्कि एक जीवंत ऐतिहासिक अनुभव बनाने की योजना भी बनाई जा रही है। परिसर में एक संग्रहालय की स्थापना का प्रस्ताव भी शामिल है, जहां इस भवन से जुड़ी तमाम ऐतिहासिक जानकारियों, पुरानी तस्वीरों, दस्तावेज़ों और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े किस्सों को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही, इस परिसर को पूरी तरह सौर ऊर्जा पर आधारित बनाने की योजना है, जिससे यह पर्यावरण के लिहाज़ से भी एक आदर्श स्थान बनेगा। वहीं सदन को आधुनिक सुविधाओं से भी लैस किया जाएगा ताकि कार्यवाही के दौरान आधुनिक तकनीक का पूरा इस्तेमाल हो सके।
राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलने से यह केवल दिल्ली का गौरव ही नहीं बढ़ेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी भारत के लोकतांत्रिक विकास और स्वतंत्रता संग्राम की झलक इस भवन के माध्यम से मिलेगी। यह पहल दिल्ली के अतीत, वर्तमान और भविष्य को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करेगी।।
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