नोएडा (12 अप्रैल 2025): नोएडा के सेक्टर-150 स्थित स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में सामने आए बड़े घोटाले की जांच में सीबीआई ने एक और अहम कदम उठाया है। जांच एजेंसी की टीम ने शुक्रवार को प्राधिकरण से दस्तावेज लेने के बाद सीधे बिल्डर साइट का निरीक्षण किया। इस दौरान लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और जनायडु स्टेट की निर्माण साइटों का दौरा किया गया।
सीबीआई अधिकारियों ने इन सभी प्रोजेक्ट्स में ब्रोशर में दर्शाई गई सुविधाओं और वास्तविक निर्माण की तुलना की। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई बिंदुओं पर ब्रोशर में किए गए दावों और जमीनी हकीकत में अंतर है। अधिकारियों ने निर्माण कार्य में पाई गई अनियमितताओं को नोट किया और संबंधित रिकॉर्ड की पुष्टि के लिए प्राधिकरण से नक्शों की मांग की।
जांच के दौरान सीबीआई ने नोएडा प्राधिकरण से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि निर्माण की निगरानी की जिम्मेदारी किस अधिकारी या कर्मचारी के अधीन थी। इसके साथ ही यह जानने की कोशिश की गई कि ब्रोशर में दिए गए विवरण प्राधिकरण की स्वीकृति से मेल खाते थे या नहीं। संबंधित समयावधि में प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों और उनकी भूमिकाओं की जानकारी भी एकत्र की गई।
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई की यह कार्रवाई केवल प्रारंभिक चरण है और अगले सप्ताह टीम एक बार फिर प्राधिकरण से संपर्क कर सकती है। जांच प्रक्रिया को सुचारु रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्राधिकरण ने सीबीआई को दस्तावेज सौंपने हेतु एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी कर दी है।
तीन बिल्डरों के खिलाफ दर्ज है एफआईआर
इस घोटाले में सीबीआई ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्रा. लि., लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. और जनायडु स्टेट के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन पर वर्ष 2011 से 2017 के बीच नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से हजारों घर खरीदारों से धोखाधड़ी करने का आरोप है।
9000 करोड़ रुपए का है घोटाला: सीएजी रिपोर्ट का खुलासा
सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट ने स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश किया था। रिपोर्ट में बताया गया कि डेवलपर्स को बाजार दर से कहीं कम कीमत पर जमीन दी गई, जिससे राज्य सरकार और नोएडा प्राधिकरण को करीब 9000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
ऑडिट में यह भी सामने आया कि डेवलपर्स ने बिना अनुमति स्वामित्व का हस्तांतरण कर दिया, लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज का भुगतान नहीं किया गया। खेल इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा न होने के बावजूद अधिभोग प्रमाण पत्र (OC) जारी कर दिए गए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई जांच
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच के आदेश दिए थे। जांच एजेंसियां अब पूरी गंभीरता से इस घोटाले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं।
नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में सामने आए भ्रष्टाचार ने न केवल सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि हजारों आम नागरिकों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। सीबीआई की यह सक्रियता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आने वाले दिनों में कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
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