नई दिल्ली, (3 अप्रैल 2025): भारत की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव और नई दिशा देने के उद्देश्य से आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में बालाजी फाउंडेशन द्वारा भव्य “भारत शिक्षा समिट 2025” का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने शिरकत की और भारतीय शिक्षा प्रणाली, उसकी ऐतिहासिक महत्ता और वर्तमान चुनौतियों पर विचार रखे। उन्होंने युवाओं को अंक तालिका की दौड़ से बाहर निकलकर ज्ञान के वास्तविक मार्ग पर आगे बढ़ने का संदेश दिया।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बालाजी फाउंडेशन और उसकी चेयरपर्सन राजश्री राय का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से शिक्षा का केंद्र रहा है, और तक्षशिला तथा नालंदा विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने विश्वभर में भारतीय शिक्षा का परचम लहराया था। उन्होंने यह भी कहा कि जब मुगलों ने नालंदा जैसे शिक्षा केंद्रों पर हमला किया, तब भी यह प्रमाणित हुआ कि भारत की शिक्षा प्रणाली कितनी समृद्ध और प्रभावशाली थी।

उन्होंने आगे बताया कि अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में भारतीय शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। अंग्रेजों ने शिक्षा को एक सीमित दायरे में बांध दिया और अंग्रेजी भाषा को हम पर थोप दिया, जिससे हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं धीरे-धीरे पिछड़ती चली गईं। उन्होंने कहा कि भाषा केवल संचार का माध्यम होती है, ज्ञान किसी भाषा का मोहताज नहीं होता। अंग्रेजों ने यह समझ लिया था कि जब तक भारतीय शिक्षा प्रणाली को नहीं बदला जाएगा, तब तक भारत पर शासन करना संभव नहीं होगा।
बृजेश पाठक ने नई शिक्षा नीति (NEP) को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से अब शिक्षा को वास्तविक ज्ञान और कौशल आधारित बनाया जा रहा है, जिससे युवाओं को केवल डिग्री नहीं बल्कि व्यवहारिक ज्ञान भी मिलेगा। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज की शिक्षा प्रणाली अंक तालिका पर केंद्रित हो गई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले जब यूपी बोर्ड में 60% अंक आना भी बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी और इसे पूरे गांव में उत्सव की तरह मनाया जाता था, लेकिन आज 90% से भी कम अंक आने पर छात्र निराश हो जाते हैं और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को अंक तालिका के चक्रव्यूह से बाहर निकालें और उन्हें वास्तविक ज्ञान अर्जित करने की ओर प्रेरित करें।
इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री के अलावा जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा, लोकसभा सांसद नवीन जिंदल, एआईयू के सेक्रेटरी जनरल पंकज मित्तल, प्रसिद्ध शिक्षाविद तनु जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप राय सहित शिक्षा जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियां और हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
इस शैक्षिक समिट में भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों और सुधारों पर चर्चा की गई। बृजेश पाठक ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे केवल अंकों के पीछे भागने के बजाय ज्ञान, नवाचार और रचनात्मकता पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य सिर्फ अच्छे अंक लाना नहीं बल्कि व्यक्तित्व का समग्र विकास होना चाहिए। इस कार्यक्रम ने शिक्षा में आवश्यक बदलावों को लेकर एक नई दिशा देने का काम किया और युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनने के लिए प्रेरित किया।।

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