दिल्ली में अवैध मीट-मछली की बिक्री पर रोक, मंत्री प्रवेश वर्मा का सख्त निर्देश!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (27 मार्च 2025): दिल्ली में गैरकानूनी रूप से मीट और मछली की बिक्री पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। दिल्ली सरकार में मंत्री प्रवेश वर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अवैध रूप से संचालित मीट और मछली की दुकानों को हटाया जाए। यह कदम धार्मिक स्थलों के पास चल रही इन दुकानों को लेकर उठाई गई आपत्तियों के बाद लिया गया है। इस फैसले के बाद सड़क किनारे मीट और मछली बेचने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने उठाया मुद्दा

दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान शकूर बस्ती से बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने यह मामला उठाया। उन्होंने पूछा कि धार्मिक स्थलों के आसपास चल रही मीट और मछली की दुकानों पर सरकार कब और क्या कार्रवाई करेगी। इस पर मंत्री प्रवेश वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि अवैध मीट और मछली बेचने वाली सभी दुकानों को हटाने के आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे इस फैसले को जल्द से जल्द लागू करें।

अवैध दुकानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश

मंत्री प्रवेश वर्मा ने साफ कहा कि दिल्ली में बिना लाइसेंस के मांस और मछली बेचना गैरकानूनी है और ऐसी सभी अवैध दुकानों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई होगी। सरकार इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मीट और मछली की वैध दुकानें जो सभी जरूरी लाइसेंस और स्वच्छता मानकों का पालन कर रही हैं, उन्हें कोई समस्या नहीं होगी।

सड़क किनारे मीट-मछली बेचने वालों को होगी परेशानी

इस फैसले के बाद सड़क किनारे मीट और मछली बेचने वाले छोटे विक्रेताओं के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खासकर वे विक्रेता, जो बिना किसी लाइसेंस के खुले में मीट और मछली बेचते हैं, उन्हें इस कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इस फैसले का असर उन लोगों पर भी पड़ेगा, जो सस्ती दरों पर मीट और मछली खरीदते हैं, क्योंकि आमतौर पर निचले तबके के लोग सड़क किनारे लगे ठेलों और स्टॉल्स से खरीदारी करते हैं।

सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो सकता है। जहां एक ओर भाजपा इसे स्वच्छता और धार्मिक भावनाओं की रक्षा का मुद्दा बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इस फैसले को छोटे विक्रेताओं के खिलाफ बता सकते हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी और धरना-प्रदर्शनों की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। अब देखना यह होगा कि सरकार इस फैसले को किस तरह से लागू करती है और छोटे व्यापारियों के लिए क्या समाधान निकालती है।


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