नई दिल्ली (20 मार्च 2025): दिल्ली-एनसीआर में आर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना ने गति पकड़ ली है, जिससे क्षेत्र में यातायात की समस्या और प्रदूषण पर काबू पाने में मदद मिलेगी। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों को जोड़ते हुए, यातायात के दबाव को कम करना और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। नोएडा एयरपोर्ट को इस रेल कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा, जिससे एयरपोर्ट और उसके आसपास के इलाकों में विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी।
इस प्रोजेक्ट के तहत, हरियाणा से लेकर ग्रेटर नोएडा क्षेत्र तक एक 135 किलोमीटर लंबा रेल कॉरिडोर बनेगा। इसे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (केजीपी) के समानांतर बनाया जाएगा। यह परियोजना लगभग 14,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होने का अनुमान है, जिसमें से 11,000 करोड़ रुपये का खर्च रेल निर्माण पर आएगा, जबकि 3,000 करोड़ रुपये का खर्च जमीन अधिग्रहण पर होगा।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) को इस परियोजना का नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। फिलहाल, जीडीए ने गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें यह बताया जाएगा कि इस रेल कॉरिडोर को किस एरिया से गुजरना होगा, कितने गांवों की जमीन को अधिग्रहण करना होगा, और आबादी का कितना असर होगा। जिला प्रशासन इस समय जमीन का सर्वेक्षण कर रहा है, जिसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
आर्बिटल रेल कॉरिडोर का निर्माण दिल्ली-एनसीआर के भीतर सड़क और रेल यातायात के दबाव को कम करने में सहायक होगा। इसके अलावा, इस परियोजना के पूरा होने से प्रदूषण के स्तर में भी कमी आने की संभावना है, क्योंकि इससे सड़क पर वाहनों की संख्या घटेगी और यातायात की गति बढ़ेगी। इसके साथ ही, रेल कॉरिडोर को हरियाणा और उत्तर प्रदेश के प्रमुख लॉजिस्टिक हब्स से जोड़ा जाएगा। यह विशेष रूप से व्यापार और मालवाहन गतिविधियों को गति देगा। साथ ही, यह नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, न्यू नोएडा इंडस्ट्रियल टाउनशिप और विभिन्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से भी जुड़ा होगा, जिससे लॉजिस्टिक सुविधाओं में सुधार होगा।
इस परियोजना में कुल 18 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनमें 12 क्रॉसिंग स्टेशन और 6 हॉल्ट स्टेशन होंगे। पैसेंजर ट्रेनों की अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा रखी जाएगी, जबकि मालवाहन ट्रेनों की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह रेल कॉरिडोर न केवल यात्रा को तेज बनाएगा, बल्कि यात्री और माल परिवहन की क्षमता को भी बढ़ाएगा, जिससे व्यापार और उद्योग को नया बल मिलेगा।
इस परियोजना को लेकर अब फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन को भेजा जाएगा। इसके बाद, परियोजना के अंतिम डिजाइन पर काम शुरू होगा। अधिकारियों के अनुसार, जल्द ही परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी और इसकी समयबद्ध शुरुआत को लेकर योजना बनाई जाएगी। यह प्रोजेक्ट दिल्ली-एनसीआर में यातायात की समस्या को हल करने के साथ-साथ आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगा, जो आने वाले वर्षों में क्षेत्र के विकास को नई दिशा देगा।
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