नई दिल्ली (17 मार्च 2025): रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में जानकारी दी कि भारतीय रेलवे एक यात्री को 1 किलोमीटर तक ले जाने में 1.38 रुपये खर्च करता है, लेकिन किराए के रूप में केवल 73 पैसे वसूलता है। यानी रेलवे यात्रियों को करीब 47% की सब्सिडी दे रहा है, जिससे सालाना लगभग 60,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ रेलवे पर पड़ता है। भारतीय रेल किराए की तुलना में, पड़ोसी देशों में किराया अधिक है, जबकि विकसित देशों में यह भारतीय दरों से 10 गुना तक अधिक होता है। इस भारी सब्सिडी के बावजूद भारतीय रेलवे अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने और यात्री सुविधाओं में लगातार सुधार करने की दिशा में काम कर रहा है।
रेल मंत्री ने बताया कि कम किराया होने के बावजूद रेलवे अपनी सेवाओं में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। वंदे भारत, बुलेट ट्रेन परियोजना, रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और सुरक्षा उपायों पर तेजी से काम किया जा रहा है। हालांकि, इस घाटे को कम करने और रेलवे के वित्तीय संतुलन को बनाए रखने के लिए, सरकार भविष्य में कुछ रणनीतिक बदलावों पर विचार कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रेलवे को राजस्व बढ़ाने के लिए मालभाड़े, निजीकरण और तकनीकी उन्नयन जैसे उपायों पर ध्यान देना होगा, ताकि रेलवे की वित्तीय स्थिति मजबूत हो और यात्री सुविधाओं में किसी तरह की कमी न आए।
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