दुनिया के टॉप 20 प्रदूषित शहरों में 13 भारत के, सबसे प्रदूषित राजधानी दिल्ली
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (11 मार्च 2025): स्विट्जरलैंड की वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी आईक्यूएयर की हाल ही में प्रकाशित विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं। इस सूची में असम का बर्नीहाट सबसे ऊपर है, जबकि दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2024 में दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बन गया है, हालांकि 2023 में यह तीसरे स्थान पर था। भारत में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे लाखों लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
बर्नीहाट टॉप पर, दिल्ली की हालत बदतर
भारत में सबसे प्रदूषित शहरों में असम का बर्नीहाट, दिल्ली, पंजाब का मुल्लांपुर, हरियाणा का फरीदाबाद और गुरुग्राम शामिल हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का लोनी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, और राजस्थान के गंगानगर, भिवाड़ी और हनुमानगढ़ भी इस सूची में जगह बनाए हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का वायु प्रदूषण 2023 की तुलना में और खराब हो गया है। 2023 में दिल्ली की वार्षिक औसत पीएम 2.5 सांद्रता 102.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो 2024 में 108.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गई। यह स्थिति दिल्ली के निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है।
भारत में 35% शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 35% शहरों में वार्षिक पीएम 2.5 स्तर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सीमा से 10 गुना अधिक है। WHO ने 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा तय की है, लेकिन भारतीय शहरों में यह सीमा कहीं अधिक है। असम और मेघालय की सीमा पर स्थित बर्नीहाट में प्रदूषण का प्रमुख कारण स्थानीय उद्योग हैं, जिनमें शराब निर्माण, लोहा और इस्पात संयंत्र शामिल हैं। दूसरी ओर, दिल्ली में प्रदूषण सालभर बना रहता है और सर्दियों में यह और भी खतरनाक हो जाता है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, पराली जलाने और पटाखों का धुआं दिल्ली की हवा को जहरीला बना देता है।
वायु प्रदूषण से लाखों लोगों की जान को खतरा
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। शोध के अनुसार, भारत में औसतन हर व्यक्ति की उम्र वायु प्रदूषण के कारण 5.2 साल कम हो रही है। ‘लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ’ की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2009 से 2019 के बीच हर साल लगभग 15 लाख भारतीयों की मौत दीर्घकालिक पीएम 2.5 प्रदूषण के संपर्क में आने से हुई। पीएम 2.5 प्रदूषण के बेहद छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों और रक्त प्रवाह में घुसकर सांस की बीमारी, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं।
प्रदूषण के प्रमुख स्रोत और समाधान
भारत में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, लकड़ी और पराली जलाना हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को सख्त उत्सर्जन कानून लागू करने और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत ने वायु गुणवत्ता डेटा एकत्र करने में प्रगति की है, लेकिन अब ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि एलपीजी सिलेंडरों पर अधिक सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि गरीब परिवारों को लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल छोड़ने में मदद मिले।
उत्सर्जन नियमों को लागू करना होगा जरूरी
डॉ. स्वामीनाथन ने यह भी कहा कि शहरों में सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना और निजी वाहनों की संख्या कम करने के लिए जुर्माने और प्रोत्साहन का सही मिश्रण अपनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उद्योगों और निर्माण स्थलों को सख्त उत्सर्जन नियमों का पालन करना चाहिए और पर्यावरण को बचाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक अपनानी चाहिए। यदि सरकार और आम जनता मिलकर काम करें, तो भारत की हवा को स्वच्छ बनाया जा सकता है। अन्यथा, आने वाले वर्षों में भारत के और भी अधिक शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो सकते हैं।
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