ग्रेटर नोएडा में आंदोलनकारी किसानों से मिलने जा रहे सपा नेता अतुल प्रधान को पुलिस ने रोका

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (7 दिसंबर 2024): ग्रेटर नोएडा में किसानों के समर्थन में पहुंचे समाजवादी पार्टी के विधायक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता अतुल प्रधान को पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया। अतुल प्रधान ग्रेटर नोएडा की लुक्सर जेल में बंद 130 किसानों से मिलने के लिए जा रहे थे, लेकिन उन्हें टोल प्लाजा पर पुलिस ने रोक लिया। मौके पर तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है, और ग्रेटर नोएडा के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

अतुल प्रधान का उद्देश्य जेल में बंद किसानों से मुलाकात करना और उनके साथ आगे की रणनीति तय करना था। उनके सहयोगियों के अनुसार, वे जेल से सीधे जीरो प्वाइंट पर जाते, जहां किसान आंदोलनकारियों का समर्थन जताने के लिए एक सभा होनी थी। हालांकि, पुलिस ने पहले ही उनके मूवमेंट पर रोक लगा दी, जिससे विपक्ष और किसान नेताओं में नाराजगी है।

ग्रेटर नोएडा में किसान आंदोलन पिछले कुछ दिनों से चर्चा का केंद्र बना हुआ है। प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए अब तक 130 किसानों को गिरफ्तार कर लुक्सर जेल भेजा है। इनमें आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कई प्रमुख किसान नेता शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि किसी भी प्रकार की अशांति या अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति कानून-व्यवस्था भंग करने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राज्य में शांति व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए। इसी के तहत किसान आंदोलन के प्रमुख नेताओं पर निगरानी बढ़ा दी गई है।

पुलिस द्वारा रोके जाने पर सपा नेता अतुल प्रधान ने आरोप लगाया कि यह सरकार की तानाशाही का परिचायक है। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याएं सुनने और उनका समर्थन करने से रोकना लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। विपक्ष ने भी सरकार की इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताते हुए आंदोलनकारियों का समर्थन किया है। घटना के बाद टोल प्लाजा और आसपास के इलाके में तनाव बढ़ गया है। समर्थकों और पुलिस के बीच नोकझोंक की स्थिति बन गई है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

फिलहाल, किसान नेताओं ने संकेत दिया है कि आंदोलन जारी रहेगा। वे सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे। दूसरी ओर, प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून के दायरे से बाहर कोई भी गतिविधि स्वीकार्य नहीं होगी। इस घटना ने किसान आंदोलन और सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले पर क्या नया मोड़ आता है।


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