नोएडा (2 मार्च 2025): नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) द्वारा शुरू की गई स्पोर्ट्स सिटी योजना (Sports City Scheme) अब बड़े घोटाले के रूप में सामने आई है। CAG (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के तहत बिल्डरों को 9000 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह परियोजना बिना उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) की औपचारिक स्वीकृति के ही शुरू कर दी गई।
CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पोर्ट्स सिटी योजना 2008 में शुरू की गई, लेकिन इसका औपचारिक अनुमोदन सितंबर 2011 में उत्तर प्रदेश सरकार से मिला। इसके बावजूद, मार्च 2011 में ही नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने बिल्डरों को जमीन आवंटित कर दी, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन था। योजना को मंजूरी मिलने से छह महीने पहले ही भूमि आवंटन किया जा चुका था।
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना का मुख्य उद्देश्य खेल सुविधाओं का विकास करना था। इसके तहत, भूमि आवंटन की शर्तों में यह तय किया गया था कि
•70% भूमि खेल सुविधाओं के लिए आरक्षित होगी।
•28% हिस्से में ग्रुप हाउसिंग (फ्लैट) बनाए जाएंगे।
•2% क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां होंगी।
लेकिन बिल्डरों ने प्राधिकरण के अधिकारियों से मिलीभगत कर खेल सुविधाओं के बजाय बड़े पैमाने पर फ्लैट्स बना दिए, जिससे परियोजना की मूल अवधारणा ही बदल गई।
जब CAG ने इस मामले की जांच की, तो नोएडा प्राधिकरण ने सफाई देते हुए कहा कि भू-उपयोग का अनुमोदन 2008 में ही उत्तर प्रदेश सरकार से ले लिया गया था और औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 की धारा 6 और 7 के तहत प्राधिकरण को ऐसी योजनाएं बनाने का अधिकार है। लेकिन CAG इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि प्राधिकरण ने सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) प्लानिंग बोर्ड की स्वीकृति के बिना ही एक नई भू-उपयोग श्रेणी बना दी, जबकि इसे मास्टर प्लान 2021 में भी शामिल नहीं किया गया था।
स्पोर्ट्स सिटी योजना के तहत सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में चार बड़े भूखंडों को चिन्हित किया गया था। इन भूखंडों को चार बड़े बिल्डरों को आवंटित किया गया, लेकिन इन बिल्डरों ने मुनाफा कमाने के लिए इन भूखंडों को 84 छोटे टुकड़ों में बांटकर बेच दिया। CAG की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि स्पोर्ट्स सिटी योजना की शुरुआत ही अनियमित तरीके से हुई। सरकार की मंजूरी के बिना योजना को लागू किया गया, जिससे बिल्डरों को अनुचित लाभ मिला और खेल सुविधाओं के नाम पर एक रियल एस्टेट घोटाला खड़ा कर दिया गया।
अब यह मामला गंभीर रूप ले चुका है, और इसकी जांच की मांग उठ रही है। यदि इस घोटाले की गहराई से जांच की जाती है, तो इसमें कई बड़े अधिकारियों और बिल्डरों की भूमिका उजागर हो सकती है। स्पोर्ट्स सिटी परियोजना एक महत्वाकांक्षी योजना थी, लेकिन इसे एक बड़े घोटाले में बदल दिया गया। सरकार की मंजूरी के बिना भू-आवंटन किया गया, खेल सुविधाओं की जगह फ्लैट बनाए गए, और बिल्डरों को करोड़ों का फायदा पहुंचाया गया। अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।
प्राधिकरण ने सीएजी की आपत्तियों पर जवाब देते हुए स्वीकार किया कि स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में खेल सुविधाओं का विकास नहीं हो सका। उन्होंने माना कि टेंडर की शर्तों और क्रियान्वयन में त्रुटियां रहीं, जिससे योजना अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाई। प्राधिकरण ने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जाएगा और नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा।।
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