CBSE Exams: साल में 2 बार होंगी कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (26 फरवरी 2025): केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए वर्ष 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने का फैसला किया है। इस नए नियम के तहत, छात्रों को परीक्षा के दो अवसर मिलेंगे, जिससे वे अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकेंगे। इस प्रस्तावित नीति का उद्देश्य परीक्षा के दबाव को कम करना और छात्रों को अधिक लचीलेपन के साथ सीखने का अवसर देना है।

सीबीएसई द्वारा मंजूर किए गए नए प्रारूप के अनुसार, पहली बोर्ड परीक्षा फरवरी-मार्च 2026 में होगी, जबकि दूसरी परीक्षा मई 2026 में आयोजित की जाएगी। छात्रों को दोनों परीक्षाओं में शामिल होने की स्वतंत्रता होगी और वे अपनी सर्वश्रेष्ठ स्कोरिंग परीक्षा को अंतिम मानकर आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे। इससे परीक्षा के “वन-टाइम चांस” वाले जोखिम को समाप्त किया जा सकेगा, जिससे छात्रों को अधिक आत्मविश्वास मिलेगा।

सीबीएसई के अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव छात्रों में परीक्षा के तनाव को कम करने और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया है। अक्सर देखा गया है कि एक ही परीक्षा के कारण छात्रों पर अत्यधिक दबाव होता है, जिससे वे मानसिक तनाव और चिंता का शिकार हो जाते हैं। नई नीति के तहत, छात्रों को अपनी क्षमताओं को साबित करने के लिए अतिरिक्त अवसर मिलेगा, जिससे उनकी शैक्षिक यात्रा अधिक सहज और प्रभावी होगी।

इसके अलावा, यह परीक्षा प्रणाली सप्लीमेंट्री परीक्षा के रूप में भी काम करेगी। यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है, तो उसे दूसरी परीक्षा में सुधार का अवसर मिलेगा। इस प्रक्रिया से छात्रों को समग्र मूल्यांकन प्रणाली का लाभ मिलेगा, जहां वे केवल याद करने की बजाय समझ और कौशल आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि बोर्ड परीक्षा के जोखिम को कम करने के लिए छात्रों को अधिकतम दो अवसरों पर परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे छात्रों को केवल नंबरों की दौड़ में शामिल होने के बजाय व्यावहारिक ज्ञान और रचनात्मक सोच को अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।

सीबीएसई ने इस प्रस्तावित प्रणाली का ड्राफ्ट सार्वजनिक कर दिया है, और 9 मार्च 2025 तक इस पर सुझाव और आपत्तियां ली जाएंगी। इसके बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और 2026 से इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। इस नई परीक्षा प्रणाली को स्कूलों, शिक्षकों और अभिभावकों की सहमति से और अधिक प्रभावी बनाने की योजना है।

इस निर्णय से भारतीय शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक परिवर्तन होने की संभावना है। यह न केवल छात्रों के लिए परीक्षा के डर को कम करेगा, बल्कि उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का भी अवसर देगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई नीति आने वाले वर्षों में शिक्षा प्रणाली और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर कितना सकारात्मक प्रभाव डालती है।


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