नई दिल्ली (22 फरवरी 2025): डिजिटल युग में साइबर अपराधियों के हथकंडे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली के मयूर विहार एक्सटेंशन में रहने वाले शिक्षा विभाग के एक अधिकारी को ठगों ने फर्जी CBI अधिकारी बनकर पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनसे 44.50 लाख रुपये ठग लिए। 10 जनवरी को पीड़ित अधिकारी को व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को CBI अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि अधिकारी ने अपनी संपत्तियों की जानकारी सरकार से छिपाई है और अब उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। ठगों ने अधिकारी को डराकर 14 जनवरी तक डिजिटल अरेस्ट में रखा, यानी लगातार संपर्क में रहकर उन्हें मानसिक रूप से बंधक बना लिया।
तीन ट्रांजेक्शन में उड़ा दिए 45 लाख
ठगों ने बातचीत के दौरान अधिकारी से उनकी कुल संपत्ति और बैंक बैलेंस की जानकारी उगलवा ली। इसके बाद, जांच के नाम पर उनके बताए गए खातों में पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला। डर के मारे अधिकारी ने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़ी और पत्नी के साथ संयुक्त बचत खाते में पैसे जमा किए। फिर वहां से तीन अलग-अलग ट्रांजेक्शन में 44.50 लाख रुपये दिनेश सिंह और इमरान अली के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।
19 जनवरी तक इंतजार, जब पैसा नहीं आया तो हुआ अहसास
ठगों ने वादा किया था कि 24 घंटे के भीतर स्क्रूटनी के बाद पूरी राशि वापस कर दी जाएगी। जब 19 जनवरी तक पैसे नहीं आए, तब अधिकारी को एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हो चुकी है। इसके बाद उन्होंने पूर्वी दिल्ली साइबर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। शुरुआती जांच में पता चला है कि ठगों ने कंबोडिया से कॉल की थी। पुलिस अब रुपये ट्रांसफर किए गए बैंक खातों और साइबर ट्रेल की जांच कर रही है।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
डिजिटल अरेस्ट का मतलब है किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से इतना भयभीत कर देना कि वह ठगों के निर्देशों का पालन करने को मजबूर हो जाए। इस दौरान फोन, व्हाट्सएप या वीडियो कॉल के जरिए लगातार निगरानी और निर्देश दिए जाते हैं।
साइबर ठगों से बचने के लिए जरूरी सावधानियां:
सरकारी अधिकारी बनकर आने वाली किसी भी कॉल पर तुरंत संदेह करें। कोई भी बैंकिंग या पर्सनल जानकारी फोन पर साझा न करें। अगर कोई जांच या कानूनी कार्रवाई की धमकी दे, तो पहले पुलिस या संबंधित विभाग से खुद संपर्क करें।व्हाट्सएप या फोन कॉल के जरिए आने वाले भुगतान अनुरोधों को तुरंत रिजेक्ट करें। अगर शक हो तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करें। इस मामले की अब पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और जल्द ही इस साइबर गैंग का खुलासा होने की उम्मीद है।।
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