ग्रेटर नोएडा (17 फरवरी 2025): अगर आप बीमा कंपनियों, अस्पतालों, स्कूलों की मनमानी से परेशान हैं और कोर्ट के लम्बे और खर्चीले पचड़ों से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए स्थायी लोक अदालत एक बेहतर समाधान हो सकती है। यह अदालत बिना वकील और कोर्ट फीस के आपके मामलों का निस्तारण करती है, और इसके लिए आपको केवल सादे कागज पर एक प्रार्थना पत्र देना होता है।
ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में स्थित जिला कोर्ट की बिल्डिंग में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा स्थायी लोक अदालत स्थापित की गई है, जहां लोग बिना किसी कानूनी जटिलताओं के अपने मामूली विवादों का समाधान पा सकते हैं। इस अदालत के चेयरमैन पूर्व जिला जज प्रमोद कुमार शर्मा हैं, जबकि कुमकुम नागर और बिब्बन शर्मा इसके सदस्य हैं। इस अदालत में फिलहाल 50 से अधिक मामलों का निस्तारण किया जा रहा है।
चेयरमैन प्रमोद कुमार शर्मा ने इस बारे में बताते हुए कहा कि , लोगों में अदालतों के प्रति एक भ्रांति है कि कानूनी पचड़ों में पड़ने से सालों तक समय बर्बाद होगा और राहत नहीं मिलेगी। इसके कारण लोग अपने अधिकारों पर हो रहे हमलों को सहते रहते हैं, जबकि स्थायी लोक अदालत एक सस्ता और प्रभावी समाधान है।
स्थायी लोक अदालत में विभिन्न जनोपयोगी सेवाओं से जुड़े विवादों का निस्तारण किया जा सकता है। इसमें बीमा कंपनियों, अस्पतालों, स्कूलों, बिजली, जल आपूर्ति, सार्वजनिक स्वच्छता, और रियल एस्टेट से संबंधित मामले शामिल हैं। लोग बिना किसी वकील के सिर्फ सादे कागज पर अपनी अर्जी देकर इन मामलों का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
यह अदालत विशेष रूप से उन विवादों के लिए उपयुक्त है, जिनमें सुलह की संभावना हो। अदालत के पास पक्षकारों के बीच सुलह कराने और विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने का विकल्प होता है। अगर सुलह संभव नहीं होती, तो अदालत दोनों पक्षों की दलीलों और सबूतों के आधार पर निर्णय सुनाती है।
स्थायी लोक अदालत में दायर की जाने वाली अर्जी पर कोई शुल्क या कोर्ट फीस नहीं लगती है। इस अदालत के द्वारा दिए गए फैसले को अंतिम माना जाता है और इसे सिर्फ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इसके अलावा, अदालत द्वारा दिए गए फैसले को सिविल न्यायालय के निर्णय की तरह माना जाएगा और इसे निष्पादित किया जाएगा।
स्थायी लोक अदालत से विवाद निपटाने के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं:
अदालत का फैसला दोनों पक्षों पर बाध्य होगा और इसे किसी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती, सिवाय उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के।
अदालत का फैसला सिविल न्यायालय की डिक्री के समान माना जाएगा, जिसे निष्पादित करने के लिए क्षेत्रीय न्यायालय भेजा जा सकता है।
अर्जी दाखिल करने पर कोई शुल्क या कोर्ट फीस नहीं लगती है।
अदालत में दायर किए गए मामलों को फिर से सामान्य न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
इस प्रकार, यदि आप किसी भी जनोपयोगी सेवा से संबंधित विवाद में फंसे हैं, तो स्थायी लोक अदालत आपके लिए एक सरल, सस्ता और प्रभावी समाधान हो सकती है।
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